November 4, 2025

उत्तर प्रदेश साहित्य सभा रामपुर इकाई की नौवीं काव्य गोष्ठी संपन्न



              अपने सोने को फिर गंगू टूटी खाट बिछाता है 

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दिनांक 2/11/2025 को उत्तर प्रदेश साहित्य सभा रामपुर इकाई की नौवीं काव्य गोष्ठी/निशस्त सभा के सदस्य जावेद रहीम जी के आवास पुराना गंज, घेर बाज़ ख़ां पर आयोजित की गई।गोष्ठी की अध्यक्षता मेज़बान जावेद रहीम जी ने की एवं मुख्य अतिथि सभा की स्थानीय इकाई के अध्यक्ष ओंकार सिंह विवेक जी रहे।सचिव राजवीर सिंह राज़ विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।यह काव्य गोष्ठी दुबई में मुशायरा पढ़कर लौटे राजवीर सिंह राज़ के सम्मान में आयोजित की गई।

राजवीर सिंह राज़ द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना के पश्चात अपने ख़ूबसूरत तरन्नुम में ग़ज़ल पढ़ते हुए अशफ़ाक़ ज़ैदी ने कहा 


     किसी को याद दुआओं में कौन रखता है,

    यक़ीन  आज वफ़ाओं में  कौन  रखता है।

सभा के अध्यक्ष ओंकार सिंह विवेक ने सामाजिक विषमताओं पर अपनी ग़ज़ल का मार्मिक शेर पढ़ते हुए कहा 


    पांव दबाकर पहले लाला जी को रोज़ सुलाता है,

    अपने  सोने  को  फिर गंगू टूटी खाट बिछाता है।

जनसरोकारों के प्रति सचेत रहने वाले सुधाकर सिंह परिहार ने काव्य पाठ करते हुए कहा 


      गर हम दीवार हटा पाते,जो कहा सुनी थी आपस की,

      उसका सब रंज मिटा पाते,ये दूरी अगर घटा पाते।

संयोजक सुरेन्द्र अश्क रामपुरी ने अपने इस शेर पर दाद वसूली 


      फ़लक सबके नसीबों में कहाँ है,

      सितारे रोज़  गिरते हैं ज़मीं पर।

सचिव राजवीर सिंह राज़ के इस शेर को भी ख़ूब पसंद किया गया 


       पाप मन से गया और तुम रो दिए,

       आंसुओं की झड़ी गंगजल बन गई।

गोष्ठी के मेज़बान जावेद रहीम साहब ने अपने ख़यालात का इज़हार करते हुए कहा 


        संगे मरमर से तराशी रूह जैसे बदन में है,

        नूरे-ख़ुदा की झलक जैसे तेरे हुस्न में है।

आमंत्रित श्रोताओं ने कवि/शायरों की धारदार रचनाएं सुनकर बार-बार करतल ध्वनि से उनका उत्साहवर्धन किया।देर रात तक चली कवि गोष्ठी में उपरोक्त के अतिरिक्त अनसब रहीम,इमरान आफताब तथा शाहिद अहमद आदि भी ख़ास तौर पर मौजूद रहे। गोष्ठी का संचालन सुरेन्द्र अश्क रामपुरी द्वारा किया गया।कार्यक्रम के अंत में सभा के अध्यक्ष ओंकार सिंह विवेक ने सभी का आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर गोष्ठी के मेज़बान जावेद रहीम साहब ने दुबई से मुशायरा पढ़कर लौटे राजवीर सिंह राज़ का शाल ओढ़ाकर स्वागत किया तथा सभी ने उन्हें बधाई दी।


इस तरह की अनौपचारिक काव्य गोष्ठियों का उद्देश्य केवल कविता पाठ करना ही नहीं होता है।ऐसी गोष्ठियों में पारिवारिक माहौल होता है जहाँ कविगण आपस में हालचाल जानकर एक दूसरे के सुख-दुख में शरीक होने के अवसर भी पा जाते हैं।

        --- ओंकार सिंह विवेक 


उत्तर प्रदेश साहित्य सभा रामपुर इकाई की काव्य गोष्ठी 🌹🌹🙏🙏


दिनांक 4/11/2025 को गोष्ठी की ख़बर को प्रकाशित करने के लिए हम सम्मानित दैनिक समाचार पत्रों अमृत विचार,अमर उजाला तथा हिन्दुस्तान के प्रतिनिधियों के प्रति हार्दिक आभार प्रकट करते हैं 🙏


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