May 20, 2025

हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी दिल्ली का 'काव्य प्रतिभा सम्मान' समारोह


 भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार एवं संवर्धन में लगी संस्था 'हिंदुस्तानी भाषा अकादमी' दिल्ली द्वारा अपनी दोहा-पुस्तक 'नावक के तीर' हेतु देश भर के साहित्यकारों से दोहे आमंत्रित किए गए थे।सहभागिता करते हुए लगभग 250 दोहाकारों द्वारा अपने दोहे अकादमी को भेजे गए जिनमें से 51 श्रेष्ठ दोहाकारों का चयन किया गया।पारदर्शी प्रक्रिया द्वारा श्रेष्ठ दोहों का चयन ख्यातिलब्ध साहित्यकारों डॉक्टर लक्ष्मी शंकर बाजपेई तथा देवेन्द्र माँझी द्वारा किया गया। यह मेरे लिए गौरव की बात है कि मेरे भी कुछ दोहे संकलन हेतु चयनित किए गए।


इसी क्रम में अकादमी द्वारा भारत सरकार संस्कृति मंत्रालय के अधीन संचालित दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी,श्यामा प्रसाद मुखर्जी मार्ग दिल्ली के गीतांजली सभागार में भव्य 'पुस्तक लोकार्पण व सम्मान समारोह' आयोजित किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉक्टर लक्ष्मी शंकर बाजपेई ने की तथा मुख्य अतिथि वरिष्ठ ग़ज़लकार श्री देवेन्द्र माँझी जी रहे।कार्यक्रम के विशेष अतिथि लेखक, संपादक व प्रकाशक डॉ. संजीव कुमार जी रहे। उल्लेखनीय है कि 'नावक के तीर' (साझा दोहा संग्रह) का प्रकाशन डॉ. संजीव कुमार के प्रकाशन संस्थान 'इंडिया नेटबुक' द्वारा किया गया है। 

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के पश्चात मनमोहक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ किया गया।बहुत ही सशक्त तथा सधी हुई सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने सभा हॉल में उपस्थित सभी अतिथियों को बार-बार तालियाँ बजाने के लिए विवश किया।

डॉक्टर लक्ष्मी शंकर बाजपेई जी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विस्तार से बताया कि उन्होंने तथा श्री देवेन्द्र माँझी जी ने किन मानकों के आधार पर एक पारदर्शी प्रक्रिया के तहत दोहों का चयन किया।उन्होंने दोहाकारों के दोहों की प्रशंसा करते हुए उन्हें काव्य सृजन में समसामयिक विषयों को समाहित करते हुए थोड़ी विविधता लाने पर भी बल दिया।

हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी दिल्ली के अध्यक्ष श्री सुधाकर पाठक जी ने अकादमी की स्थापना का उद्देश्य बताते हुए विस्तार से उसके क्रिया कलापों पर प्रकाश डाला।उन्होंने बताया कि अब तक अकादमी तीन विधाओं गीत, ग़ज़ल तथा दोहा पर काम करके प्रतिभाशाली साहित्यकारों को सम्मानित कर चुकी है तथा भविष्य में अन्य विधाओं के लिए यह काम जारी रहेगा।


इस बार युवा कवि राहुल शिवाय को उनकी दोहा सृजन में विलक्षण प्रतिभा को देखते हुए अकादमी ने विशिष्ट सम्मान प्रदान किया।


सम्मान प्राप्त करते हुए आदरणीया प्रोमिला भारती जी 

नीचे👇 के चित्र में अकादमी अध्यक्ष सुधाकर पाठक जी अपनी टीम के साथ निर्णायक मंडल के सदस्यों डॉक्टर लक्ष्मी शंकर बाजपेई जी तथा वरिष्ठ ग़ज़लकार श्री देवेन्द्र माँझी को सम्मानित करते हुए :

अन्य दोहाकारों के साथ मुझे भी अकादमी द्वारा अपने दोहों के लिए सम्मान प्रदान किया गया जिसके लिए मैं अकादमी का दिल की गहराईयों से आभार प्रकट करता हूँ।

कार्यक्रम में देश भर से पधारे चयनित दोहाकारों ने अपने प्रतिनिधि दोहों का पाठ करके सबको आनंदित किया।

कार्यक्रम का कुशल संचालन संस्था समन्वयक/सचिव विनोद पाराशर जी द्वारा किया गया तथा उनका सहयोग संस्था के समर्पित साथी राजकुमार श्रेष्ठ जी द्वारा अपनी चिर परिचित मुस्कुराहट के साथ किया गया।


इस अवसर पर अकादमी की केंद्रीय कार्यकारिणी के पदाधिकारी विजय कुमार शर्मा, डॉ. वनीता शर्मा, राजकुमार श्रेष्ठ, विनीत पांडे, सुश्री प्रकाश कंवर के साथ ही दिल्ली नगर निगम शिक्षक प्रकोष्ठ के सभी पदाधिकारी भी उपस्थित थे। इस  अवसर पर उपस्थित विशिष्ट अतिथियों में सुश्री यति शर्मा, भारत भूषण शर्मा, किशोर श्रीवास्तव, सुश्री शालिनी श्रीवास्तव, सुश्री चंद्रकांता सिवाय, डॉ. कविता मल्होत्रा, राजेश श्रीवास्तव, सुश्री ऊषा श्रीवास्तव, सुश्री पूजा श्रीवास्तव, सुश्री दीपा गुप्ता,  अमित गुप्ता,  सान्निध्य गुप्ता,  राजवृत आर्य, सुशी दीपा शर्मा, सुश्री उमंग सरीन, सुश्री फातिमा किरमानी,  विवेक मिश्र आदि को भी अकादमी की ओर से सम्मानित किया गया। 

संकलन एवं प्रस्तुति :

ओंकार सिंह विवेक 

साहित्यकार/समीक्षक/कॉन्टेंट राइटर/टैक्स ब्लॉगर 


       नावक के तीर 🌟🌟👈👈


हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी दिल्ली काव्य प्रतिभा सम्मान समारोह 🌹🌹👈

May 13, 2025

नया कलाम ! 🌹🌹🌹🌹🌹

मेरी नई ग़ज़ल को छापने के लिए मैं सम्मानित अख़बार "सदीनामा" के संपादक मंडल का हृदय से आभार प्रकट करता हूँ।जनाब कलीम ख़ान साहब को भी उनकी बेहतरीन ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद।
©️ 

बे-दिली  से  ही   सही   पर   दे  दिया,

बोलने   का   उसने  अवसर  दे  दिया।


वरना   कैसे   टूटता   शब   का  ग़ुरूर,

शुक्र  है  जो  रब  ने  दिनकर  दे दिया।


उनको ये 'आला सुख़नवर का ख़िताब,

जानते  हैं   किस  बिना  पर  दे  दिया।


आदमी   सोता   रहा    फुटपाथ   पर,

काग़ज़ों   में  आपने   घर    दे   दिया।


ग़म-ख़ुशी  की  धूप-छाया  ने  'विवेक',

ज़िंदगी  को   रूप   मनहर   दे   दिया।

                  ©️ ओंकार सिंह विवेक 



May 5, 2025

सुखद पलों की अनुभूतियाँ



कल प्रसार भारती(आकाशवाणी) रामपुर,उoप्रo द्वारा युवाओं के लोकप्रिय कार्यक्रम 'युववाणी' हेतु प्रस्तुतकर्ताओं के चयन के लिए साक्षात्कार का आयोजन किया गया।
अच्छी संख्या में युवक एवं युवतियाँ तैयारी के साथ साक्षात्कार में सम्मिलित हुए।साक्षात्कार लेते समय युवाओं की  प्रस्तुतीकरण शैली,उच्चारण दक्षता तथा सामयिक विषयों पर उनकी अच्छी पकड़ ने काफ़ी प्रभावित किया। मैं साक्षात्कार में सम्मिलित होने वाले सभी युवाओं को उनके उज्ज्वल भविष्य हेतु शुभकामनाएं देता हूँ🌹🌹
मुझे साक्षात्कार हेतु गठित निर्णायकों के पैनल में सम्मिलित करने के लिए मैं आकाशवाणी रामपुर के अधिकारियों, ख़ास तौर से श्री राजीव सक्सैना जी, श्री असीम सक्सैना जी तथा श्री विक्रांत चौधरी जी,का  हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ🙏🙏
साक्षात्कार हेतु गठित पैनल में एक बहुत ही ऊर्जावान तथा प्रतिभाशाली साथी डॉक्टर मौसम सिन्हा से मिलकर भी बहुत अच्छा लगा। उनसे बातचीत करके कुछ पुरानी स्मृतियाँ ताज़ा हुईं।उन्होंने बताया कि युववाणी कार्यक्रम का उन्होंने काफ़ी लंबे समय तक संचालन किया है।
उल्लेखनीय है कि मुझे आकाशवाणी रामपुर से वर्ष 1984 से एक कवि/शायर के रूप में जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त है।

अवसर के कुछ छाया चित्र 👇👇

दूसरे सुखद संयोग का भी उल्लेख करना चाहूँगा। पटना,बिहार के वरिष्ठ शायर तथा बिहार प्रशासनिक सेवा के अवकाश प्राप्त अधिकारी श्री रमेश कँवल साहब से काफ़ी अरसे से सोशल मीडिया के माध्यम से जुड़ाव है।कँवल साहब अच्छे शायर होने के साथ ही बेहतरीन इंसान भी हैं।उनके द्वारा संपादित कई पुस्तकों में मेरी ग़ज़लें छपी हैं।वे वहाँ के कई  स्थानीय अख़बारों के लिए साहित्यिक रचनाओं का संकलन भी करते हैं।मैं उनका आभारी हूँ कि उन्होंने जहानाबाद से प्रकाशित होने वाले प्रतिष्ठित अख़बार अरवल टाईम्स में छपने हेतु मेरी ग़ज़ल का भी चयन किया👇👇

May 3, 2025

पुस्तक समीक्षा "लावनी गीत"


                     पुस्तक समीक्षा 
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              कृति : लावनी गीत
              कृतिकार : रणधीर प्रसाद गौड़ 'धीर'
              प्रकाशक :ओम प्रकाशन  448,साहूकारा, 
                              बरेली,उत्तर प्रदेश 
                              मोo 9456078597
              प्रकाशन वर्ष : 2024 
              पृष्ठ संख्या :82 मूल्य : रुपए 250/-

रणधीर प्रसाद गौड़ 'धीर' जी जनपद बरेली,उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार हैं।धीर साहब को कविता/शायरी का शौक़ अपने पिता स्वर्गीय देवी प्रसाद गौड़ मस्त जी से विरासत में मिला जो स्वयं बरेली के बड़े कवि/शायर थे।अब तक 'धीर' साहब की अनेक पुस्तकें यथा - कल्याण काव्य कौमुदी,बज़्म-ए-इश्क़,जब आती है याद तुम्हारी,सलाम-ए-इश्क़ आदि मंज़र-ए-आम पर आ चुकी हैं।उसी कड़ी में उनकी प्राचीन भारतीय काव्य/गायन विधा लावनी की हाल ही में प्रकाशित हुई पुस्तक 'लावनी गीत' की सूक्ष्म समीक्षा आपके सम्मुख प्रस्तुत है।
जहाँ तक लावनी गीत की बात है यह शास्त्रीय या लोकनृत्य के साथ गीत संयोजन है जो राग तत्व पर आधारित कविता होती है। इसे एक ही वाद्य यंत्र तबला/ढोलक या ढोलकी पर गाने की परंपरा रही है। छंदशास्त्र में लावनी एक छंद भी है जिसकी मापनी 16+14 अर्थात 30 मात्राएं प्रत्येक पंक्ति हेतु निर्धारित होती हैं।
धीर जी ने इस पुस्तक में लावनी गीत, लावनी छंद, ख़म्स: और ख़याल की तमाम बंदिशों को निभाते हुए शानदार सृजन किया है।इस विधा में ख़याल, ख़म्स:, ग़ज़ल, दोहा तथा चौपाई आदि छंदों में गायन होता है।इसमें दो दल आमने सामने बैठकर जवाबी मुक़ाबला करते हैं जिसका रसिक लोग ख़ूब आनंद लेते हैं।गायन के विषय नायक-नायिका का शृंगार भाव तथा विरह/मिलन आदि होते हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में प्राणी दुखदाई नर्क न हो/वह नर पाता है स्वर्ग का पथ/उस तरफ़ को का'बा घूम गया/श्री कृष्ण चंद्र के मुख चंदा दरसे/राम कलेवा/डोली जाना तुझे पति के द्वार/यह ज़रूरी है हर आदमी के लिए--- आदि जैसे ध्यान खींचने वाले शीर्षकों के अंतर्गत लावनी गीत सृजित किए गए हैं जो सुधी पाठकों/श्रोताओं को आकर्षित करते हैं।
राम कलेबा शीर्षक से लावनी गीत की कुछ 
पंक्तियाँ देखें :
    ख़बर जनमासे पहुँचाई-करने कलेवा सुखदाई,
    राम लक्ष्मण सब भाई - आवें जनक भवन।
    शोभा अंग की अपार - होके घोड़ों पर सवार,
    सजे चारों राजकुमार - चले कलेवा करन।
     घोड़े राह में कुदाते - बाँके तिरछे बने जाते,
     चारों भाई मुस्काते - ख़ूब चित्त मगन।
हम सब जानते हैं कि जनमासा  दुल्हन पक्ष की ओर का वह स्थान होता है जहाँ दूल्हे तथा बारात को ठहराया जाता है।ऊपर की पंक्तियों में राम तथा उनके भाईयों के कलेवा रस्म के लिए जाने का क्या ही सुंदर चित्र धीर साहब ने उकेरा है।कलेवा रस्म दुल्हन की विदाई रस्म से पहले निभाई जाती है। इस रस्म में दूल्हे को भोजन कराया जाता है और उपहार आदि दिए जाते हैं ताकि विदाई के बाद रास्ते में भूख न लगे।
पुस्तक में एक और लावनी गीत 'यह ज़रूरी है हर आदमी के लिए' शीर्षक से संकलित है। उसकी भी कुछ मार्मिक पंक्तियाँ उल्लेखनीय हैं :
याद से उसकी ग़फ़िल न हो उम्र भर-यह ज़रूरी है हर आदमी के लिए,
तोड़ दे सारी दुनिया के रिश्ते सभी- इक सुई चाहिए बंदगी के लिए।
अल्प भोजन करे और सोये भी कम -योग साधन बना है उसी के लिए,
मांस मदिरा का सेवन न हरगिज़ करे-योग साधन नहीं तामसी के लिए।
है यक़ीं कामयाबी मिलेगी तुझे - त्याग दे रंजो ग़म हर ख़ुशी के लिए,
सिद्ध आसन लगा प्राण को साध ले- तीसरा तल जगा रौशनी के लिए।
इन पंक्तियों में कवि ने जैसे पूरा योग दर्शन ही समेट लिया है। जीवन को सफल बनाने के लिए सदैव ईश के नाम का स्मरण करने की बात कही गई है।योग साधना के लिए किस प्रकार का जीवन अपेक्षित है उसका सुंदर काव्यात्मक चित्रण किया गया है।
आदरणीय रणधीर प्रसाद गौड़ धीर जी के सभी लावनी गीत बहुत ही चुस्त तथा प्रभावशाली बन पड़े हैं। इनमें भाषा की सहजता के साथ कथ्य और शिल्प का उचित समन्वय है तथा इनकी बुनावट में कलात्मकता झलकती है।
वर्तमान में लावनी गायन की परंपरा लुप्त होती सी प्रतीत होती है ऐसे में धीर साहब के लावनी गीतों को पढ़कर हम यह कह सकते हैं कि यह हमारी प्राचीन विद्या को बचाने का एक सफल प्रयास है। अत: इन गीतों की जितनी भी जितनी प्रशंसा की जाए वह कम होगी।
पुस्तक की भाषा बहुत सरल तथा सहज है। थोड़ी बहुत टंकण त्रुटियों को नज़र अंदाज़ किया जाना चाहिए।
सभी लावनी गीत दिल में उतरते चले जाते हैं। पुस्तक के अंत में धीर साहब ने अपनी साहित्यिक गतिविधियों के छाया चित्र भी समाहित किए हैं जो किताब की सुंदरता को बढ़ाते प्रतीत होते हैं। 
मुझे आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि भारतीय काव्य/गायन की लावनी जैसी प्राचीन परंपरा को सुरक्षित करती हुई पुस्तक 'लावनी गीत' को साहित्य जगत में भरपूर स्नेह प्राप्त होगा। मैं श्री धीर साहब के उत्तम स्वास्थ्य तथा दीर्घायु होने की कामना करता हूँ ताकि भविष्य में आप अपने धारदार सृजन से और अच्छी कृतियां रचकर समाज को दिशा प्रदान कर सकें।
आप फ़ोन नंबर 9456078597 पर संपर्क करके इस महत्वपूर्ण पुस्तक को मंगवाकर पढ़ सकते हैं।

   --- ओंकार सिंह विवेक 
साहित्यकार/समीक्षक/कंटेंट राइटर/टैक्स ब्लॉगर 

May 2, 2025

संस्कार भारती की मज़दूर दिवस पर कवि गोष्ठी



संस्कार भारती भारतीय कला और साहित्य को संवर्धित तथा पोषित करने वाली राष्ट्रीयस्वयं सेवक संघ की एक सहयोगी संस्था है ।भारत में कला और साहित्य के क्षेत्र में छिपी प्रतिभाओं को पहचानकर उनको प्रोत्साहित करने के लिए यह संस्था निरंतर प्रयत्नशील रहती है।
संस्कार भारती की रामपुर इकाई द्वारा
 दिनांक 1 मई,2025 को मज़दूर दिवस के अवसर पर एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में स्थानीय साहित्यकारों ने अवसर के अनुकूल अपने मार्मिक काव्य सृजन द्वारा उपस्थित लोगों के दिलों को छू लिया।
मेरे द्वारा गोष्ठी में प्रस्तुत किए गए कुछ सामयिक दोहे 
  करना है दिन भर उसे, काम काम बस काम।
  बेचारे   मज़दूर   को, क्या  वर्षा  क्या  घाम।।

  लिया गया सामर्थ्य से,बढ़कर दिन  भर काम।
  दिया  न  पर मज़दूर को, श्रम  का पूरा दाम।।
                               ©️ ओंकार सिंह विवेक 
साहित्यकार शिवकुमार चन्दन ने मज़दूर दिवस पर अपनी प्रस्तुति देते हुए कहा : 
ठेला   खींचे    जा   रहा , है    मज़दूर    गरीब ।
जो जनपथ पर बढ़ रहा, मंज़िल बहुत करीब ।।
मंज़िल बहुत   करीब ,मजूरी  कर   घर  आया ।
मिली  श्रमिक  को जीत ,पेट तब ही भर पाया ।
सुखी   हुआ   परिवार , लगा   गंगा  का  मेला ।
धन     पाया    भरपूर , खींच कर लाया ठेला ।।
साहित्यकार रविप्रकाश ने कहा :
वसुधा कुटुंब जो सिखलाता, वह हिंदू धर्म हमारा है। 

रहती सब में आत्मा समान, जन-जन दुनिया का प्यारा है।।

मानव-मानव में भेद नहीं, गीता-रामायण गाते हैं। 

सब आदर्शों का केंद्र बिंदु, हम हिंदुस्तान बताते हैं।

कवयित्री प्रीति अग्रवाल ने पहलगाम की घटना को लेकर अपना दोहा पढ़ा :

    बैठ  गए थे घात में,घाटी  में  कुछ  लोग।

     रक्त बहाने का उन्हें,लगा हुआ था रोग।।

निर्भय जैन ने अपनी काव्य प्रस्तुति देते हुए कहा :

श्रमिक कहते उसी को हैं जो श्रम का मान रखता है,

सुबह से सांझ तक बच्चों की ख़ातिर काम करता है।

ख़ुद से ज़्यादा वो बच्चों का सदा ही ध्यान रखता है,

धूल मिट्टी का ही दिन भर वो केवल पान करता है।

इनके अतिरिक्त अनमोल रागिनी चुनमुन, जसप्रीत जस्सी, रामकिशोर वर्मा, सचिन सार्थक, जितेंद्र नंदा, अशफ़ाक़ ज़ैदी, निर्भय जैन, अश्क रामपुरी तथा सुधाकर सिंह परिहार आदि ने भी समसामयिक विषयों पर भावपूर्ण काव्य पाठ किया।
संस्कार भारती के स्थानीय अध्यक्ष मुनीश चंद्र शर्मा द्वारा कार्यक्रम समापन पर सभी आमंत्रितों का आभार व्यक्त किया गया।
कार्यक्रम में सहभागिता का अवसर प्रदान करने के लिए मैं मुनीश चंद्र शर्मा जी का हृदय से आभार प्रकट करता हूँ।
🙏🙏🌹🌹 



May 1, 2025

मज़दूर दिवस पर


साथियो आज अन्तरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस है। प्रतीकात्मक रुप से इस दिन दुनिया के दीन-हीन लोगों की दशा को लेकर ख़ूब वार्ताएं और गोष्ठियां आयोजित की जाएंगी। श्रम  क़ानूनों पर व्याख्यान होंगे। मज़दूरों की दशा पर घड़ियाली आंसू बहाए जाएंगे परंतु बेचारे मज़दूर की दशा में तब तक कोई ख़ास अंतर नहीं आना है जब तक उनके लिए कुछ ठोस क़दम न उठाए जाएं।

ख़ाली जेब,सिर पर बोझा और पांवों में छाले,यही मुक़द्दर है एक श्रमिक का।गर्मी,वर्षा और जाड़े सहते हुए बिना थके और रुके काम में लगे रहना ही उसकी नियति है। मेहनत करके रूखी-सूखी मिल गई तो खा ली,वरना पानी पीकर खुले आकाश के नीचे सो गए।उसकी पीड़ा को भी काश ! कभी ढंग से समझा जाए।उसे उसकी मेहनत का पूरा दाम मिले, बिना भेद भाव के शासन/प्रशासन उसकी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति और समस्याओं के प्रति गंभीर हो।

मज़दूर वर्ग से काम लेने के नीति और नियमों में आवश्यकतानुसार सुधार किए जाएं तभी इस वर्ग का कल्याण सुनिश्चित किया जा सकता है।

प्रसंगवश मुझे अपनी अलग-अलग ग़ज़लों के दो शे'र तथा कुछ दोहे और मुक्तक याद आ गए :

शेर

***

कहां  क़िस्मत  में उसकी  दो घड़ी आराम  करना  है,

मियां ! मज़दूर को तो बस मुसलसल काम करना है।


***

उसे करना ही पड़ता है हर इक दिन काम हफ़्ते में,

किसी मज़दूर की क़िस्मत में कब इतवार होता है।

***
दे जो सबको अन्न उगाकर,
उसकी  ही  रीती थाली है।
***

दोहे 

****

करना है दिन भर उसे, काम काम बस काम।

बेचारे  मज़दूर   को, क्या  वर्षा   क्या  घाम।।


लिया  गया  सामर्थ्य से,बढ़कर  दिन  भर  काम।

दिया  न   पर  मज़दूर को,श्रम  का   पूरा  दाम।।


मुक्तक 

*****

न  ही  भर   पेट  खाता  है   न   पूरी   नींद   सोता  है, 

हमेशा  पीठ  पर   क़ुव्वत  से  बढ़कर  बोझ  ढोता है।

जिसे श्रम की कभी अपने उचित क़ीमत नहीं मिलती,

वही   मज़दूर   होता    है    वही    मज़दूर  होता   है।

                                  ©️ ओंकार सिंह विवेक 

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देश वासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं🌹🌹

            (चित्र गूगल से साभार)           🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 समस्त देश वासियों को राष्ट्रीय पर्व...