June 3, 2024

मां का आशीष फल गया होगा

नमस्कार मित्रो 🌹🌹🙏🙏

पारिवारिक और सामाजिक सरोकारों को उकेरती हुई मेरी एक ग़ज़ल प्रस्तुत है आपकी अदालत में। प्रतिक्रिया से अवश्य ही अवगत कराएं :

ग़ज़ल-- ©️ओंकार सिंह विवेक

©️

माँ  का  आशीष   फल  गया   होगा,

गिर  के   बेटा   सँभल  गया   होगा।


ख़्वाब  में   भी  न  था  गुमां  हमको,

दोस्त   इतना    बदल   गया  होगा।


छत  से    दीदार   कर   लिया  जाए,

चाँद  कब  का   निकल  गया  होगा।


सच   बताऊँ   तो   जीत   से    मेरी,

कितनों का  दिल ही जल गया होगा।


रख   दिया    था  जो  आईना आगे,

बस  वही  उनको  खल  गया होगा।   


लूट  ली  होगी  उसने   तो  महफ़िल,

जब   सुनाकर   ग़ज़ल   गया  होगा।


जीतकर    सबका   एतबार  'विवेक',

चाल   कोई   वो   चल    गया  होगा।    

            -- ©️ओंकार सिंह विवेक

               (सर्वाधिकार सुरक्षित)



जिनसे रक्खी आस कहां वो लोग भरोसे वाले थे👈👈






4 comments:

  1. छत से दीदार कर लिया जाए,
    चाँद कब का निकल गया होगा।

    बेहतरीन शायरी !

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