आजकल ख़ूब ज़ेहन बना हुआ है पढ़ने और लिखने का। पिछले हफ़्ते तक मां शारदे की कृपा से कई नई ग़ज़लें हुई हैं और कुछ दोहे भी कहे हैं।कई साहित्यिक आयोजनों में जाना हुआ।कई नए और वरिष्ठ साहित्यकारों ने अपनी पुस्तकें भेंट कीं। पिछले दिनों देश के चर्चित ग़ज़लकार श्री दीक्षित दनकौरी जी का ग़ज़ल संग्रह "सब मिट्टी" पूरी तन्मयता के साथ पढ़ा।कुछ शेर तो कई-कई बार पढ़े। जनसरोकारों से जुड़ी श्री दनकौरी जी की सभी ग़ज़ले बहुत धारदार हैं। ग़ज़ल संग्रह को पढ़कर मैंने उसका परिचय देता हुआ विस्तृत वीडियो भी अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया जिसको बहुत पसंद किया गया।
शे'र अच्छा-बुरा नहीं होता,
या तो होता है या नहीं होता।
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ख़ुलूस-ओ-मुहब्बत की ख़ुश्बू से तर है,
चले आईए ये अदीबों का घर है।
दीक्षित दनकौरी
इन अशआर से ही आपको श्री दनकौरी जी के अशआर की गहराई का अंदाज़ा हो जाएगा।
इस दौरान ग़ज़लों के साथ-साथ कुछ दोहे भी कहे मैंने जो आपकी प्रतिक्रिया के लिए प्रस्तुत हैं :
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करते रहना है उसे,काम काम बस काम।
बेचारे मज़दूर को,क्या वर्षा क्या घाम।।
होंगे क्या इससे अधिक,बुरे और हालात।
चौराहे तक आ गई,अब तो घर की बात।।
हमने दिन को दिन कहा,और रात को रात।
बुरी लगी सरकार को,बस इतनी सी बात।।
घर में होती देखकर,बँटवारे की बात।
चिंता में घुलने लगे,बाबू जी दिन-रात।।
©️ ओंकार सिंह विवेक
बात जब ग़ज़ल की चल ही रही है तो मेरी ग़ज़ल का एक मतला' और एक शेर भी देखिए :
कभी कुछ शादमानी लिख रहा हूं,
कभी मैं सरगिरानी लिख रहा हूं।
कई तो हैं ख़फ़ा इस पर ही मुझसे,
कि मैं पानी को पानी लिख रहा हूं।
©️ ओंकार सिंह विवेक
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" शनिवार 11 मई 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका 🙏🙏
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteअतिशय आभार आपका।
Deleteबहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब ।
अतिशय आभार आपका।
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
Deletehttps://youtube.com/shorts/ljFMhgwJR34?si=zQIhB_iwspqgfavK