कुहरेे से लड़ने के बाद सूरज फिर से अपनी वही चमक पाने लगा है।अब तापमान भी धीरे-धीरे बढ़ रहा है।खेतों में सरसों और उद्यानों में खिलते फूल मस्ती में आकर झूम रहे हैं यानी वसंत का आगमन हो चुका है।
आज वसंत पंचमी है और विद्या की देवी सरस्वती का प्रादुर्भाव दिवस भी।इसके साथ ही छायावाद के चार स्तंभों (महादेवी वर्मा , सुमित्रानंदन पंत, जयशंकर प्रसाद तथा पंडित सूर्यकांत त्रिपाठी निराला) में से एक निराला जी का जन्म दिवस भी है। कुल मिलाकर बहुत ही शुभ है आज का दिन।
वसंत पंचमी तथा सरस्वती जी के प्रादुर्भाव दिवस के पावन अवसर पर एक मुक्तक आपकी प्रतिक्रिया हेतु प्रस्तुत है :
@
सप्त सुर लय ताल का उपहार दो,
ज्ञान का अनुपम अतुल भंडार दो।
अनवरत नूतन सृजन करती रहे,
लेखनी को शारदे वह धार दो।
@ओंकार सिंह विवेक
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 15 फरवरी 2024 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
जी ज़रूर हाज़िरी रहेगी,आभार🙏🙏
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteअतिशय आभार आपका।
Deleteमेरी रचना को चर्चा में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार।
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
Deleteसप्त सुर लय ताल का उपहार दो,
ReplyDeleteज्ञान का अनुपम अतुल भंडार दो।
अनवरत नूतन सृजन करती रहे,
लेखनी को शारदे वह धार दो।
संक्षिप्त और सार्थक प्रार्थना।
हार्दिक आभार आपका।
Deleteसुंदर प्रार्थना
ReplyDeleteआभार आदरणीया
DeleteBahut. Sundar post
ReplyDeleteधन्यवाद जी
Delete