दिल्ली निवासी ग़ज़लकार दीक्षित दनकौरी जी अपनी टीम के साथ मिलकर पिछले 18 वर्षों से देश-विदेश के ग़ज़ल प्रेमियों के लिए ग़ज़ल कुंभ के नाम से एक शानदार कार्यक्रम आयोजित करते आ रहे हैं।
इस आयोजन की आयोजक संस्था अंजुमन फरोग़-ए-उर्दू है जिसके अध्यक्ष मोईन अख़्तर अंसारी साहब हैं। ये दोनों साहित्यकार अपनी समर्पित टीम के साथ मिलकर प्रतिवर्ष बहुत ही व्यवस्थित/अनुशासित ढंग से भव्य ग़ज़ल कुंभ का आयोजन कराते हैं।इस कार्यक्रम में बहुत प्रतिष्ठित ग़ज़लकारों के साथ-साथ ऐसे उभरते हुए रचनाकार भी सहभागिता करते हैं जिन्हें अपने सृजन को निखारने और अच्छा मंच पाने की ललक है।निश्चित तौर पर दीक्षित दनकौरी जी और मोईन अख़्तर अंसारी साहब अदब की बेमिसाल ख़िदमत और अदीबों को प्रोत्साहित करने का काम बड़ी शिद्दत से करते आ रहे हैं।
इस कड़ी में इस बार वर्ष,2024 का ग़ज़ल कुंभ मुंबई में बसंत चौधरी फाउंडेशन, नेपाल के सौजन्य से आयोजित किया जा रहा है।इस बार के कार्यक्रम का उदघाटन माननीय वीरेंद्र याज्ञिक द्वारा किया जाएगा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि क्रमश: श्री बसंत चौधरी जी तथा श्री अमरजीत मिश्र जी होंगे। इस बार के ग़ज़ल कुंभ में देशभर से पधारे लगभग 146 ग़ज़लकारों द्वारा ग़ज़ल पाठ किया जाएगा।
मैंने वर्ष 2017 के ग़ज़ल कुंभ दिल्ली में पहली बार शिरकत की थी। इसके बाद पिछले वर्ष ग़ज़ल कुंभ हरिद्वार में भी सहभागिता की।इस बार रामपुर के अपने दो बहुत अच्छे ग़ज़लकार साथियों प्रदीप माहिर और राजवीर सिंह राज़ के साथ ग़ज़ल कुंभ मुंबई में सहभागिता का अवसर प्राप्त हो रहा है। रामपुर के ही एक और अच्छे ग़ज़लकार भाई सुरेंद्र अश्क जी को भी हमारे साथ कार्यक्रम में सहभागिता करनी थी परंतु कुछ पारिवारिक कारणों के चलते वह ऐसा नहीं कर पा रहे हैं।हमें इस दौरान उनकी कमी बहुत खलेगी।
श्री दनकौरी जी के पास ऐसे बडे़ साहित्यिक अनुष्ठान संपन्न कराने का लंबा अनुभव है। उनके पास समर्पित साहित्यकारों और व्यवस्था देखने वालों की एक पूरी टीम होती है जो बहुत मुस्तैदी के साथ अपने काम को अंजाम देती हैं। धन्य हैं वे लोग जो इस साहित्यिक अनुष्ठान में सम्मिलित होते हैं और अनुशासित ढंग से इस दो दिवसीय कार्यक्रम को गरिमा के साथ पूर्ण कराने में अपना सहयोग प्रदान करते हैं।ऐसे कार्यक्रमों में सिर्फ़ रचना पाठ करना ही साहित्यकारों का मक़सद नहीं होता बल्कि ऐसे अवसरों पर दूसरे लोगों से मिलकर उनका
हालचाल जानना तथा विभिन्न विषयों पर अनौपचारिक परिवेश में वार्तालाप/संवाद करके अपने चिंतन को निखारना भी एक उद्देश्य होता है।
मैं दीक्षित दनकौरी जी,मोईन अख़्तर अंसारी जी और उनकी टीम को मुझे ग़ज़ल कुंभ में आमंत्रित करने हेतु धन्यवाद ज्ञापित करता हूं और कामना करता हूं कि वे स्वस्थ्य और मस्त रहते हुए प्रति वर्ष यों ही साहित्यक यज्ञों का आयोजन कराते रहें।
प्रस्तुतकर्ता : ओंकार सिंह विवेक
बहुत सुन्दर आलेख मान्यवर! ऐसे साहित्यिक आयोजन निश्चित ही रचनाकारों के साहित्यिक विमर्श को समृद्ध करते हैं।💐💐
ReplyDeleteजी, धन्यवाद 🙏
DeleteZabardast,All the best.
ReplyDeleteThanks
Deleteबहुत सुंदर बधाई हो
ReplyDeleteआभार आपका।
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