December 31, 2023

🌹🌹नव वर्ष,2024 मंगलमय हो🌷🌷

साथियो नमस्कार 🌹🌹🙏🙏


यह वर्ष भी अपनी पूरी रफ़्तार से पंख लगाकर गुज़र गया।पारिवारिक,सामाजिक,राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कितनी ही गतिविधियों/घटनाओं के हम साक्षी बने। इस वर्ष दुनिया में कुछ सुखद परिवर्तन भी हमने देखे तो ऐसे घटनाक्रम भी नज़र से गुज़रे जो अंदर तक झकझोर गए।

दुनिया के देशों ने जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिग को लेकर जो चिंता प्रकट की वह एक अच्छा संकेत कहा जा सकता है। उम्मीद है इस पर जल्द ही सामूहिक प्रयासों के परिणाम दिखाई देंगे। राष्ट्रीय स्तर पर अच्छे घटनाक्रमों की बात की जाए तो भारत के मिशन चंद्रयान 3 की अभूतपूर्व सफलता का दुनिया ने लोहा माना।यह हमारे लिए गौरव की बात है।
इस वर्ष दुनिया ने जो तबाही का मंज़र देखा उसने सबके रौंगटे खड़े कर दिए।बात चाहे रूस यूक्रेन युद्ध की हो या फिर इसराइल और हमास की जंग की। दुनिया में  चल रहे इन युद्धों में जान और माल की जितनी हानि हुई है उसका ठीक ठीक अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है।इंसानी वहशीपन की इस चरम सीमा की जितनी भी भर्त्सना की जाए वह कम है।काश! लोगों की संवेदनाएं जागें और इंसानियत का जज़्बा ज़ोर मारे ताकि फिर कभी ऐसी तबाही की पुनरावृत्ति न हो।
इतिहास गवाह है कि युद्ध के माध्यम से न कभी किसी समस्या का हल निकला है और न ही कभी निकलेगा।ज़रूरत बातचीत और स्वस्थ्य विचारधारा को पल्लवित और पोषित करने की है। डंडे और ताक़त के ज़ोर पर किसी समस्या को दबाया तो जा सकता है परंतु उसका स्थाई हल विचारधाराओं में बदलाव और सामंजस्य से ही खोजा जा सकता है।
आशा करते हैं कि आने वाले साल में दुनिया से नफ़रत और द्वेष के बादल  छंटेंगे और मुहब्बत की नई रौशनी फैलेगी।
इन्हीं कामनाओं के साथ नए साल के स्वागत में एक नई ग़ज़ल आप सब की मुहब्बतों के हवाले करता हूं, प्रतिक्रिया से अवश्य अवगत कराएं :

आने वाले साल से उम्मीद बाँधे हुए एक ग़ज़ल

************************************

     -- ओंकार सिंह विवेक

©️

गए साल  जैसा  न  फिर  हाल  होगा,

तवक़्क़ो है अच्छा  नया  साल  होगा।


मुहब्बत   के    हर   सू   परिंदे  उड़ेंगे,

बिछा नफ़रतों का न अब जाल होगा।


बढ़ेगी  न  केवल  अमीरों की  दौलत,

ग़रीबों का तबक़ा भी ख़ुशहाल होगा।


सुगम होंगी सबके ही जीवन की राहें,

न भारी  किसी  पर  नया साल होगा।


सलामत   रहेगी  उजाले   की  हस्ती,

अँधेरा   जहाँ  भी  है  पामाल  होगा।


उठाएँगे   ज़िल्लत   यहाँ   झूठ  वाले,

बुलंदी  पे  सच्चों  का  इक़बाल होगा।


न  होगा  फ़क़त  फ़ाइलों-काग़ज़ों  में,

हक़ीक़त में भी मुल्क ख़ुशहाल होगा।

          ---©️ ओंकार सिंह विवेक

                    रामपुर-उoप्रo 

 (सर्वाधिकार सुरक्षित) 

4 comments:

  1. बहुत सुन्दर
    आशावादी रचना

    ReplyDelete
  2. नये साल के लिये शुभकामनाएँ

    ReplyDelete
    Replies
    1. अतिशय आभार आदरणीया।आपको भी बहुत बहुत मुबारकबाद।

      Delete

Featured Post

आज फिर एक नई ग़ज़ल

 एक बार फिर कोलकता के सम्मानित अख़बार/पत्रिका "सदीनामा", ख़ास तौर से शाइर आदरणीय ओमप्रकाश नूर साहब, का बेहद शुक्रिया। सदीनामा निरं...