July 8, 2023

उत्तर प्रदेश साहित्य सभा की रामपुर इकाई का गठन तथा कवि गोष्ठी

शुभ संध्या मित्रो 🌹🌹🙏🙏

समाज सेवा के जो माध्यम हैं उनमें साहित्य सृजन भी एक प्रमुख माध्यम है।सृजनात्मक साहित्य के माध्यम से समाज को नई दिशा देने का कार्य साहित्यकार बंधु युगों से करते आ रहे हैं।देश में बोली,पढ़ी और समझी जाने वाली लगभग सभी भाषाओं में उच्च कोटि का साहित्य सृजन हो रहा है।कुछ साहित्यकार यदि व्यक्तिगत रूप से सक्रिय रहकर जनहितकारी साहित्य का सृजन कर रहे हैं तो बहुत से साहित्यकार साहित्यिक समूहों तथा संस्थाओं के द्वारा साहित्य साधना में निमग्न हैं। बहरहाल,माध्यम कोई भी हो हमें एक पावन संकल्प लेकर समाज सेवा के कार्य में लगे रहना चाहिए।
साहित्य सेवा के पावन कार्य में योगदान देने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश के कुछ मूर्धन्य साहित्यकारों, जिनमें सर्वेश अस्थाना, डॉo विष्णु सक्सैना,बलराम श्रीवास्तव,गिरधर खरे और डॉo सोनरूपा विशाल आदि जैसे ख्यातिप्राप्त नाम सम्मिलित हैं,ने प्रादेशिक स्तर पर "उत्तर प्रदेश साहित्य सभा" का गठन किया है।सभा के क्रियाकलापों को मूर्त रुप देने के लिए ज़िला स्तर पर भी सभा की इकाईयों के गठन का कार्य चल रहा है।इस क्रम में शनिवार दिनांक ८जुलाई,२०२३ को सभा के ज़िला रामपुर के संयोजक/प्रधान वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेंद्र अश्क रामपुरी के संयोजकत्व में उत्तर प्रदेश साहित्य सभा की स्थानीय इकाई का निम्नानुसार विधिवत गठन किया गया :
संरक्षक                       ताहिर फ़राज़ साहब
संयोजक /प्रधान           सुरेन्द्र अश्क रामपुरी जी
अध्यक्ष                        ओंकार सिंह विवेक जी
वरिष्ठ उपाध्यक्ष              फैसल मुमताज़ जी
उपाध्यक्ष                       प्रदीप राजपूत माहिर जी 
मंत्री/सचिव                    राजवीर सिंह राज़ जी
कोषाध्यक्ष                    अनमोल रागिनी चुनमुन जी
सह सचिव                     सुमित मीत जी
प्रचार सचिव                   नवीन पांडे जी
संगठन सचिव                 बलवीर सिंह जी
कार्यकारिणी सदस्य         रश्मि चौधरी जी तथा गौरव नायक जी


इस अवसर पर संरक्षक ताहिर फ़राज़ साहब की अध्यक्षता में आहूत की गई बैठक में सभा के पदाधिकारियों ने परिचय के उपरांत एक दूसरे का माल्यार्पण द्वारा स्वागत किया। सभा के पदाधिकारियों ने संस्था के प्रति अपनी निष्ठा और प्रतिबद्धता प्रदर्शित करते हुए अपने-अपने सुझाव भी प्रस्तुत किए। सभी इस बात पर एकमत थे कि किसी भी साहित्यिक अखाड़ेबाज़ी से दूर रहते हुए निस्वार्थ भाव से हमें संस्था की प्रगति और विस्तार के लिए कार्य करना चाहिए। संरक्षक ताहिर फ़राज़ साहब ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि संस्था की नियमावली से स्पष्ट है कि एक नेक काज के लिए इसका गठन किया गया है अत: साहित्यकार बंधुओं को अधिक से अधिक संख्या में इससे जुड़कर साहित्य/समाज सेवा में अपना योगदान सुनिश्चित करना चाहिए।
इस अवसर पर एक काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया।
गोष्ठी में अपनी रचना पढ़ते हुए संस्था के स्थानीय संरक्षक अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त शायर ताहिर फ़राज़ साहब ने कहा :

आँखों में आँसुओं की जगह अब रहेगा कौन,
इस घर में तेरे बाद बता दे बसेगा कौन।
अब रात भीगती है चलो घर की राह लें,
लेकिन वहाँ भी अपने अलावा मिलेगा कौन।

सभा के सचिव/मंत्री राजवीर सिंह राज़ ने अपनी गज़ल कुछ यूं पेश की :
हमने दिल में रखा है तुझे,
फिर भी शिकवा रहा है तुझे।

 संयोजक सुरेंद्र अश्क रामपुरी ने सुनाया :
 
  हम अदब की पौध नन्ही कुछ हमें भी सींचिये,
  हम सुकूँ की छांव देंगे जब शजर हो जाएंगे। 
  
इसके बाद सभा के अध्यक्ष ग़ज़लकार ओंकार सिंह विवेक ने कुछ माहौल को बदला :

 मुँह पर तो कितना रस घोला जाता है,
  पीछे जाने क्या क्या बोला जाता है। 

सभा के उपाध्यक्ष ग़ज़लकार प्रदीप राजपूत माहिर ने कहा 

फ़िरकों की फ़िक्र है न क़बीलों का कुछ ख़याल,
दानिश्वरों से यार ये बच्चा ही ठीक है। 

कोषाध्यक्ष कवियत्री अनमोल रागिनी चुनमुन ने कहा : 
 नेह मिला आकाश से, बरसी प्रेम फुहार।
 धरा हरित हो झूमती, पा साजन का प्यार।।
 
कार्यकारिणी सदस्य रश्मि चौधरी दीक्षा ने कहा :
एक कहानी का सार लिखा है,
 तुमको अपना प्यार लिखा है।

अंत में संयोजक सुरेंद्र अश्क रामपुरी ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए शीघ्र ही अगले आयोजन की आशा के साथ कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की।
स्थानीय समाचार पत्रों द्वारा आयोजन की अच्छी कवरेज की गई।
प्रस्तुति :
ओंकार सिंह विवेक
(ग़ज़लकार/समीक्षक/कॉन्टेंट राइटर/ब्लॉगर)
अध्यक्ष
उत्तर प्रदेश साहित्य सभा रामपुर(उoप्रo)























2 comments:

  1. वाह! आपने तो पूरा मुशायरा ही हाज़िर कर दिया, सभी रचनाएँ कबीले तारीफ़ हैं, बहुत बहुत बधाई!

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    1. अतिशय आभार आपका 🌹🙏

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