आइए आज जानते हैं रामपुर(उत्तर प्रदेश) की विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक रज़ा लाइब्रेरी के बारे में।
रामपुर रज़ा लाइब्रेरी की स्थापना वर्ष 1774 ईसवी में रामपुर के पहले नवाब फ़ैज़ुल्लाह ख़ां द्वारा की गई थी।हाल ही में सरकार द्वारा लाइब्रेरी में उपलब्ध दुर्लभ कलाकृतियों और पेंटिंग्स आदि को देखते हुए इसका नाम बदलकर रामपुर रज़ा लाइब्रेरी एवं म्यूज़ियम कर दिया गया है
नवाबी दौर में लाइब्रेरी रियासत के अधीन ही रही।अधिकांश नवाब किताबों ,शायरी और पेंटिंग्स आदि में रुचि लेने वाले रहे जिसकी छाप आप लाइब्रेरी का भ्रमण करते समय महसूस कर सकते हैं। आज़ादी के बाद रज़ा लाइब्रेरी का नियंत्रण केंद्र सरकार के हाथ में आ गया।आजकल पुस्तकालय का संचालन भारत सरकार का संस्कृति मंत्रालय करता है।लाइब्रेरी नवाबों द्वारा शहर के बीच में बनवाए गए विशाल दुर्ग की भव्य इमारत में स्थित है।दुर्ग में प्रवेश करते ही हामिद मंज़िल में लाइब्रेरी की भव्य इमारत को देखकर आप आश्चर्यचकित रह जाएंगे।
सरकार द्वारा लाइब्रेरी के कुशल प्रबंधन हेतु 12 सदस्यीय लाइब्रेरी बोर्ड का गठन किया गया है।उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बोर्ड के अध्यक्ष होते हैं।वर्तमान में प्रदेश की राज्यपाल आदरणीया आनंदी बेन पटेल जी लाइब्रेरी बोर्ड की अध्यक्ष हैं।पुस्तकालय के रखरखाव,संरक्षण-संवर्धन और विकास को लेकर समय-समय पर लाइब्रेरी बोर्ड की बैठकें आयोजित की जाती हैं।
पुस्तकालय में लगभग 60000 किताबें तथा 17000 दुर्लभ पांडुलिपियां हैं जो एक रिकॉर्ड है।लाइब्रेरी में किताबी ख़ज़ाने के अलावा लगभग 5000 बहुमूल्य पेंटिंग्स भी हैं।लाइब्रेरी में बादशाह अकबर की पर्सनल अलबम भी देखी जा सकती है।लाइब्रेरी हॉल के म्यूज़ियम के फ़ानूसों में लगे हुए बल्ब नवाबी दौर के हैं जो अभी तक भी फ्यूज़ नहीं हुए हैं।लाइब्रेरी में साधारण और वी आई पी भ्रमणकारियों के अतिरिक्त देश और विदेश से वर्ष भर शोधार्थियों का आना-जाना लगा रहता है।
इस लाइब्रेरी में अन्य दुर्लभ पुस्तकों और पेंटिंग्स के अतिरिक्त दो ख़ास चीज़ें भ्रमणकारियोंं के आकर्षण का केंद्र रहती हैं।पहली चीज़ हज़रत अली के हाथ से हिरण की खाल पर लिखा हुआ चौदह सौ साल पुराना क़ुरआन तथा दूसरी चीज़ सुमेर चंद जैन साहब के हाथ से सोने के पानी से फ़ारसी में लिखी हुई लगभग तीन सौ साल पुरानी रामायण की प्रति।
साहित्यिक गतिविधियों को जीवंत रखने के लिए लाइब्रेरी द्वारा कभी - कभी कवि सम्मेलनों और मुशायरों आदि का भी आयोजन कराया जाता है। मुझे इस बात पर गर्व महसूस होता है कि मैं भी कई बार लाइब्रेरी द्वारा आयोजित कराए गए राष्ट्रीय कवि सम्मेलनों/मुशायरों में सहभागिता कर चुका हूं।भारतीय भाषाओं तथा सभ्यता और संस्कृति को लेकर व्याख्यानों का आयोजन भी यहां अक्सर होता रहता है।यहां मुग़ल बादशाह जहाँगीर की बेगम नूरजहां की शिकार के बाद बंदूक़ की नाल साफ़ करते हुए पेंटिंग भी है।
किताबों और दुर्लभ पांडुलिपियों के संरक्षण और सुरक्षा को लेकर लाइब्रेरी की प्रयोगशाला में निरंतर काम चलता रहता है। पुस्तकालय में विदेशी शोधार्थियों को आकर्षित करने के लिए अरबी और फ़ारसी साहित्य की दुर्लभतम किताबें मौजूद हैं।
लाइब्रेरी में दरबार हॉल और दस बड़े कक्ष हैं।राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी रामपुर आए थे ।उन्हें क़िले के गेस्ट हाउस में ठहराया गया था।लाइब्रेरी में गांधी जी से जुड़ी अनेक किताबें और फ़ोटो हैं।
अक्टूबर,2023 में इस लाइब्रेरी की स्थापना के 250 साल पूरे होने जा रहे हैं।इस अवसर को देखते हुए यहां वर्ष भर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
(सभी चित्र गूगल से साभार)
प्रस्तुतकर्ता : ओंकार सिंह विवेक
ग़ज़लकार/समीक्षक/कंटेंट राइटर/ब्लॉगर
वाह! रामपौर की राजा लाइब्रेरी के बारे में नवीनतम जानकारी पाकर अच्छा लगा, देश की यह अनमोल धरोहर है
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीया
DeleteBahut sundar jankari
ReplyDeleteDhanywaad
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