May 23, 2023

कैसी - कैसी ने'मत हमको जंगल देते हैं

दोस्तो शुभ प्रभात 🌹🌹🙏🙏

आज फिर मेरे नवीन ग़ज़ल संग्रह में प्रकाशित होने जा रही जदीद ग़ज़ल का आनंद लीजिए :

नई ग़ज़ल -- -- ©️ ओंकार सिंह विवेक 
©️ 
शीशम  साखू   महुआ   चंदन  पीपल   देते हैं,
कैसी-कैसी  ने'मत   हमको   जंगल   देते   हैं।

वर्ना सब  होते  हैं  सुख  के   ही  संगी -साथी,
दुनिया में  बस  कुछ  विपदा  में संबल देते हैं।

रस्ता  ही भटकाते  आए  हैं  वो  तो अब तक,
लोग  न  जाने  क्यों  उनके  पीछे  चल देते हैं।
©️ 
आज बना  है मानव  उनकी ही जाँ का दुश्मन,
जीवन  भर  जो  पेड़  उसे  मीठे  फल  देते हैं।

मिलती है  कितनी  तस्कीन तुम्हें क्या बतलाएँ,
आँगन  के  प्यासे पौधों  को  जब  जल देते हैं।

कब तक सब्र का बाँध न टूटे प्यासी फसलों के,
धोखा   रह-रहकर   ये   निष्ठुर  बादल  देते  हैं।

किस  दर्जा  मे'यार  गिरा  बैठे  कुछ  व्यापारी,
ब्रांड  बड़ा  बतलाकर  चीज़ें   लोकल  देते  हैं।
                       ---©️ ओंकार सिंह विवेक

12 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 24 मई 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।

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    1. जी, हार्दिक आभार आपका 🌹🌹🙏🙏

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  2. Bahut zabardast ghazal,vah vah.

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    1. हार्दिक आभार आपका।

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  3. उम्दा बेहतरीन सृजन

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    1. हार्दिक आभार आपका 🙏🙏

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  4. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ।

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    1. हार्दिक आभार आपका।

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  5. बेहद सुंदर सृजन

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    1. जी हार्दिक आभार आपका।

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  6. आज बना है मानव उनकी ही जाँ का दुश्मन,
    जीवन भर जो पेड़ उसे मीठे फल देते हैं।
    वाह!!!
    लाजवाब👌👌

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