काव्य गोष्ठी में कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को देर तक बांधे रखा। सर्वप्रथम मंचासन अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए कवि शिव कुमार शर्मा चंदन ने मां सरस्वती को नमन करते हुए कहा :
हे संगीत स्वरों की देवी, उर आनंद जगाती हो।
काव्य कला में मधु रस भरतीं, वीणा सरस बजाती हो
इसके बाद गोष्ठी का संचालन कर रहे प्रदीप राजपूत माहिर ने राजवीर सिंह राज को दावत दी राज ने अपनी बात को इस तरह रखा :
सदा इंसान का इंसां बने रहना जरूरी है,
उचित है बात यह इस बाको कहना जरूरी है।
इसी क्रम में आए कवि राम सागर शर्मा ने अपनी व्यथा को कुछ इस तरह व्यक्त किया:
मन की छूट गई चंचलता,
अस्वस्थ तन की देख विवशता
इसके बाद ग़ज़लकार ओंकार सिंह विवेक को आमंत्रित किया गया।उन्होंने नए साल पर अपनी बात इस तरह प्रस्तुत की
गए साल जैसा न फिर हाल होगा,
तवक़्क़ो है अच्छा नया साल होगा।
इसके बाद अशफ़ाक़ ज़ैदी ने अपनी गज़लों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया
आने जाने का सिलसिला रखिये,
या मेरे सर कोई खता ख़ता रखिये।
इसी क्रम में महाराज किशोर सक्सेना ने सभी को गुदगुदाया :
शादीशुदा हूँ पर आशिक कुंवारा हूँ,
शरीफ हूँ पर अपनी आदतों से हारा हूँ।
सुरेंद्र अश्क रामपुरी ने कहा :
तुम ज़माने की बात करने लगे
ज़ख्म दिल के सभी उभरने लगे
इस कदर इश्क था क़फ़स से उन्हे
खुद परिंदे ही पर कतरने लगे
फिर प्रदीप माहिर ने खुद कमान संभाली और कहा:
माज़ी के हादसों की सियाही नहीं रही,
लेकर ख़ुशी के रंग नया साल आ गया।
नवीन पांडे ने अपनी अभिव्यक्ति कुछ इस प्रकार दी :
जाता हुआ साल है
मोबाइल की गैलरी को
स्क्रॉल करते हुए
दिख जाता है
तुम्हारा मुस्कुराता हुआ चेहरा।
अंत में मेज़बान श्री अनिल अग्रवाल जी ने सुनाया :
उम्र का हर दौर मज़ेदार है,
अपनी उम्र का मज़ा लीजिए।
उन्होंने व्यापार मंडल के पचास वर्ष पूरे होने की बधाई देते हुए कहा कि नए साल पर इसी प्रकार आयोजन किया जाता रहेगा। इस मौके पर उत्तर प्रदेश व्यापार प्रतिनिधि मंडल के महामंत्री कपिल आर्य, युवा शाखा के जिलाध्यक्ष विपुल गुप्ता, नगराध्यक्ष नवीन भाटिया, बसंत प्रजापति, मुनीश गुप्ता, चिराग़ गर्ग, हरजीत सिंह, हरीश अरोरा, प्रवीन मित्तल, कमल रस्तोगी, प्रशांत अग्रवाल, किशन लाल शर्मा, राकेश टण्डन, सुमित सिंघल, हरभजन बत्रा, अशोक अरोरा, महेंद्र गुप्ता आदि मौजूद रहे।
प्रस्तुत हैं अवसर के कुछ छाया चित्र:
प्रस्तुतकर्ता: ओंकार सिंह विवेक
ग़ज़लकार/समीक्षक/कॉन्टेंट राइटर/ब्लॉगर
Vah vah, sundar aayojan
ReplyDeleteHardik aabhar
DeleteBahut sundar aayojan,vah vah
ReplyDeleteAabhar aapka
Delete