आज ग़ज़ल का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है। ग़ज़ल पहले फ़ारसी,अरबी, उर्दू में कही जाती थी परंतु अब हिंदी और तमाम अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी सफलता के साथ कही जा रही है।यह ग़ज़ल की लोकप्रियता का ही कमाल है कि बड़े बड़े शायरों के दीवान आज देवनागरी हिंदी में प्रकाशित हो रहे हैं और पसंद किए जा रहे हैं।
दिल्ली निवासी ग़ज़लकार दीक्षित दनकौरी जी अपनी टीम के साथ मिलकर पिछले 18 वर्षों से देश-विदेश के ग़ज़ल प्रेमियों के लिए ग़ज़ल कुंभ के नाम से एक शानदार कार्यक्रम आयोजित करते आ रहे हैं।
इस आयोजन की आयोजक संस्था अंजुमन फरोग़-ए-उर्दू है जिसके अध्यक्ष मोईन अख़्तर अंसारी साहब हैं। ये दोनों साहित्यकार अपनी समर्पित टीम के साथ मिलकर प्रतिवर्ष बहुत ही व्यवस्थित/अनुशासित ढंग से भव्य ग़ज़ल कुंभ का आयोजन कराते हैं।इस कार्यक्रम में बहुत प्रतिष्ठित
ग़ज़लकारों के साथ-साथ ऐसे उभरते हुए रचनाकार भी सहभागिता करते हैं जिन्हें अपने सृजन को निखारने और अच्छा मंच पाने की ललक है।निश्चित तौर पर दीक्षित दनकौरी जी और मोईन अख़्तर अंसारी साहब अदब और
अदीबों की बहुत बड़ी सेवा कर रहे हैं।
इस कड़ी में इस बार का ग़ज़ल कुंभ हरिद्वार में बसंत चौधरी फाउंडेशन, नेपाल के सौजन्य से संपन्न हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार जी ने किया। चार सत्रों में हुए इस दो दिवसीय ग़ज़ल कुंभ में देशभर से पधारे लगभग 150 ग़ज़लकारों ने ग़ज़ल पाठ किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में नेपाल से डा श्वेता दीप्ति एवम मुख्य अतिथि के रूप में डा मधुप मोहता ( IFS) और शैलेंद्र जैन अप्रिय (अमर भारती) पधारे। इस अवसर पर प्रख्यात शायर दीक्षित दनकौरी के सद्य प्रकाशित ग़ज़ल संग्रह ' सब मिट्टी ' का लोकार्पण एवम देहरादून के वरिष्ठ शायर अंबर खरबंदा को 'ग़ज़ल कुंभ 2023 सम्मान ' प्रदान किया गया। आयोजक संस्था अंजुमन फरोग़-ए-उर्दू के अध्यक्ष मोईन अख़्तर अंसारी ने सभी गणमान्य अतिथियों का माल्यार्पण द्वारा स्वागत किया।
दो दिवसीय भव्य आयोजन में निष्काम धर्मशाला हरिद्वार में ठहरने और भोजन तथा जलपान आदि की आयोजकों द्वारा उत्तम व्यवस्था की गई थी।धन्य है वह संस्था और उसके पदाधिकारी जिसने कुंभ नगरी में ग़ज़ल कुंभ के नाम से साहित्यिक आयोजन करके साहित्यकारों को मां गंगा की गोद में आने का अवसर प्रदान किया। इतने बड़े आयोजन को जिस अनुशासित और चरणबद्ध ढंग से संपन्न कराया गया वह नि:संदेह प्रशंसनीय है।
मैंने वर्ष 2017 के ग़ज़ल कुंभ दिल्ली में शिरकत की थी। लंबे अंतराल के बाद इस बार रामपुर के अपने दो साहित्यकार साथियों सुरेंद्र अश्क रामपुरी और राजवीर सिंह राज़ के साथ ग़ज़ल कुंभ हरिद्वार में सहभागिता करके बहुत अच्छा लगा।
साहित्यकारों का उद्देश्य ऐसे कार्यक्रमों में सिर्फ़ रचना पाठ करना ही नहीं होता बल्कि दूसरे लोगों से मिलकर उनका
हालचाल जानना तथा विभिन्न विषयों पर अनौपचारिक परिवेश में वार्तालाप/संवाद करके अपने चिंतन को निखारना भी होता है।
मैं दीक्षित दनकौरी जी,मोईन अख़्तर अंसारी जी और उनकी टीम को इतने अच्छे आयोजन के लिए धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कामना करता हूं कि वे स्वस्थ्य और मस्त रहते हुए ऐसे भव्य आयोजन प्रतिवर्ष कराते रहें।
अपने एक मतले और शेर के साथ बात समाप्त करता हूं :
हँसते-हँसते तय रस्ते पथरीले करने हैं,
हमको हर मुश्किल के तेवर ढीले करने हैं।
जैसे भी संभव हो पाए प्यार की धरती से,
ध्वस्त हमें मिलकर नफ़रत के टीले करने हैं।
--- ओंकार सिंह विवेक
अवसर के कुछ छाया चित्र अवलोकनार्थ संलग्न हैं
प्रस्तुतकर्ता : ओंकार सिंह विवेक
सीताराम
ReplyDeleteहार्दिक प्रसन्नता हुई ऐसे साहित्यिक कार्यक्रम को देखकर। बहुत-बहुत बधाई अनुज ओंकार सिंह "विवेक " जी
आदरणीय उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार 🌹🌹🙏🙏
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