शौर्य चक्र विजेता फौजी बलिदानी रंजीत सिंह
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अप्रैल ,२०२२ में मैंने अपने ब्लॉग पर "नीयत नेकी की" शीर्षक से एक पोस्ट लिखी थी।उस पोस्ट में काशीपुर-उत्तराखंड निवासी ओज के कवि श्री अनिल सारस्वत जी के द्वारा किए जा रहे नेक काम की विस्तार से चर्चा की थी। ज्ञातव्य है कि श्री अनिल जी देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए किसी सैनिक के परिजनों से संपर्क करके उनके प्रति सम्मान प्रकट करते हैं।वह हर माह एक बलिदानी सैनिक के परिवार से मिलने का यह काम वर्षों से करते आ रहे हैं।२७ अप्रैल,२०२२ को जब वह ऐसे ही एक बलिदानी सैनिक रंजीत सिंह के परिजनों से मिलने गांव अलीपुरा ज़िला रामपुर गए थे तो मुझे भी उनके साथ जाने का अवसर मिला था।इन सब बातों का मैंने अपनी अप्रैल,२०२२ की एक पोस्ट में ज़िक्र भी किया था।आज मैं आपको बलिदानी सिपाही रंजीत सिंह के बारे में विस्तार से बताना चाहता हूं ताकि सब लोग उस वीर को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित कर सकें।
बलिदानी रंजीत सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के छोटे से जनपद रामपुर के सैदनगर ब्लॉक के अलीपुरा गांव में हुआ था।बलिदानी के पिता श्री सत्यपाल सिंह जी ने बताया कि रंजीत का शुरू से ही सपना था कि वह पढ़-लिखकर फौज में जाकर देश की सेवा करे।परिवार के लोग भी उसके जज़्बे को देखकर गर्व महसूस करते थे।यही कारण है की उसे सहर्ष फौज में भर्ती होने की अनुमति भी घर से मिल गई थी।उसने जाते ही फौज में कई वीरता के कारनामे अंजाम देकर अपने अफसरों का दिल जीत लिया था।बलिदानी रंजीत सिंह जब जम्मू कश्मीर के बारामूला में तैनात थे तो एक मिशन में उनकी आतंकवादियों से मुठभेड़ हुई थी।रंजीत सिंह ने इस मुठभेड़ में दुश्मनों से जमकर लोहा लिया और चार आतंकवादियों को मार गिराया तथा अंत में वीरगति को प्राप्त हुए। रंजीत सिंह की वीरता और पराक्रम को देखते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम साहब ने ११ अप्रैल,२००७ (रिपोर्ट : दैनिक जागरण १६ दिसंबर,२०२२ ) को उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया था। हमने गांव में उनका स्मारक भी देखा जिसमें बलिदानी की प्रतिमा भी लगी हुई है।
बलिदानी सिपाही रंजीत के पिता जी ने बताया कि सरकार ने उनके बेटे के नाम पर स्कूल और सड़क का नाम रखने की बात भी कही है जो बहुत अच्छी घोषणा है।यही एक बलिदानी के प्रति सम्मान और सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
आइए हम सब ऐसे वीर बलिदानी की स्मृतियों को शत-शत नमन करें 🌹🌹🙏🙏
अवसर के अनुरूप आज ये पुरानी तस्वीरें भी साझा करना प्रासंगिक होगा।ये उस समय की तस्वीरें हैं जब हम श्री अनिल सारस्वत जी के साथ गांव अलीपुरा गए थे।श्री अनिल जी ने बलिदानी रंजीत सिंह के पिता पिता के पांव छूकर उनके प्रति सम्मान प्रकट किया था, वे बहुत ही भावुक क्षण थे।
प्रस्तुतकर्ता : ओंकार सिंह विवेक
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा गुरुवार 18 दिसंबर 2022 को 'देते हैं आनन्द अनोखा, रिश्ते-नाते प्यार के' (चर्चा अंक 4626) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
हार्दिक आभार मान्यवर।टंकण त्रुटि के कारण दिवस अशुद्ध लिख गया है।
DeleteBalidani ko shat shat naman
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
DeleteVery Nice your all post, I Love it
ReplyDeleteI write content on investment information, Recently I write an article on DOinvest.net
let me know if you have any work for me
Thanks for appreciation.
Deleteअच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता!
ReplyDeletegreetings from malaysia
🙏🙏
Deletevery interesting information
ReplyDeleteKampusnya politisi
Thanks
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