November 18, 2022

कहानी दो साहित्य-साधकों की

मित्रो नमस्कार 🌹🌹🙏🙏
घर के ड्रॉइंग रूम में क़रीने से कई अलमारियों में सजी किताबें, दर्जनों मोमेंटोज़, ट्रॉफियां और सम्मान पत्र तथा दीवारों पर सुंदर पेंटिंग्स देखकर सचमुच लगा की यह वास्तव में अदीबों का ही घर है और मुझे प्रसंगवश प्रसिद्ध ग़ज़लकार श्री दीक्षित दनकौरी जी का यह शेर याद आ गया :
              ख़ुलूस-ओ-मुहब्बत की ख़ुश्बू से तर है,
              चले  आइए   ये  अदीबों  का   घर  है।
                          --- दीक्षित दनकौरी 
साथियो यह ऐसे ही एक साहित्यकार दंपती के घर का चित्रण है जिससे हाल ही में मुझे मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जी हां, मैं बात कर रहा हूं डॉo किश्वर सुल्ताना जी और उनके पति डॉo ज़हीर अली सिद्दीक़ी जी की  जो बिना किसी प्रसिद्धि की लालसा लिए नि:स्वार्थ भाव से हिंदी और उर्दू दोनों ही भाषाओं को अपने सर्जन से समृद्ध कर रहे हैं। 
       (डॉo ज़हीर अली सिद्दीक़ी जी तथा उनकी धर्मपत्नी 
         डॉo किश्वर सुल्ताना जी)
डॉक्टर किश्वर सुल्ताना साहिबा हिंदी भाषा की अवकाश प्राप्त प्रोफेसर, शोधकर्ता और लेखिका हैं। आपने हिंदी में प्रथम श्रेणी में एमoएo और डीoलिटo तक शिक्षा ग्रहण की है।आपका हिंदी तथा उर्दू भाषाओं के साथ ही अरबी और अंग्रेज़ी भाषाओं पर भी अच्छा अधिकार है।आपने रूसी भाषा का भी विधिवत अध्ययन किया है और आप एक अच्छी चित्रकार भी हैं। बहुमुखी प्रतिभा की धनी आदरणीया किश्वर सुल्ताना जी की पचास से भी अधिक वार्ताएं/परिचर्चाएं आकाशवाणी और दूरदर्शन से प्रसारित हो चुकी हैं।आपने अपने विषय से संबंधित पच्चीस से अधिक सेमिनारों में भाग लिया है।आपके आलोचनात्मक तथा समीक्षात्मक आलेख/लेख राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के पत्रों में प्रकाशित होते रहते हैं। प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत पर आपने बहुत काम किया है और उनका सानिध्य भी आपको प्राप्त रहा।
हिंदी साहित्य में योगदान के लिए आपको हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग, उत्तर प्रदेश हिंदी सेवी संस्थान तथा मौलाना मोहम्मद अली जौहर एकेडमी दिल्ली सहित तमाम अन्य सरकारी तथा ग़ैर सरकारी संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।
ऊपर मैंने आदरणीया किश्वर सुल्ताना जी के चित्रकारी के हुनर का ज़िक्र किया है सो उनकी कुछ ख़ूबसूरत चित्रकारी का नमूना भी देखिए:
पेंटिंग्स १: मीरा की भक्ति को दर्शाया गया है
           ५: मुग़ल शहज़ादा सलीम और अनारकली
            ४: भारतीय नारी शृंगार करते हुए 
चित्रकारी को देखकर यह सहज ही अनुमान हो जाता है कि डाक्टर साहिबा जितनी अच्छी साहित्यकार हैं उतनी ही अच्छी चित्रकार भी हैं।आपके चित्रों में भारतीय संस्कृति और इतिहास की सुंदर झलक मिलती है।
श्रीमती किश्वर सुल्ताना जी ने हिंदुस्तान की आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लेने वाले श्री मुहम्मद अली जौहर तथा शौकत अली जौहर जी की माता बी अम्मा पर "बी अम्मा" शीर्षक से ही एक किताब लिखी है जो उन्होंने मुझे भेंट भी की।इस किताब को पढ़कर बाद में इस पर कुछ लिखने का प्रयास करूंगा।
डॉक्टर ज़हीर अली सिद्दीक़ी साहब ने उर्दू और इतिहास विषयों में स्नातकोत्तर तथा लखनऊ विश्वविद्यालय से पी एच डी तक शिक्षा ग्रहण की है।आपने आई जी डी मुंबई से चित्रकला में भी कोर्स किया है।आपकी "मौलाना मोहम्मद अली और जंगे आज़ादी" (रामपुर रज़ा लाइब्रेरी द्वारा प्रकाशित) तथा उर्दू अकादमी लखनऊ द्वारा पुरस्कृत "दस्तावेज़ाते रुहेलखंड" सहित कई किताबें हैं। आपके आलोचनात्मक/समीक्षात्मक लेख राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।आपको उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी सहित तमाम अन्य सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं से अदबी ख़िदमात के लिए पुरस्कृत किया जा चुका है।आपकी तीस से अधिक वार्ताओं और परिचर्चाओं का आकाशवाणी तथा दूरदर्शन से प्रसारण हो चुका है।
आज कुछ लोग जहाँ भाषा और धर्म के नाम पर समाज को बांटने की कुचेष्टा कर रहे हैं वहीं यह जोड़ा हिंदी और उर्दू भाषाओं से समान स्नेह रखते हुए अपनी साहित्यिक सेवाओं से समरसता का संदेश देने में लगा हुआ है। हमें ऐसे अदीबों से सीख लेनी चाहिए।
आप दोनों से मिलकर काफ़ी देर साहित्यिक विषयों और साहित्यकारों पर चर्चा हुई।इस उम्र में भी इस दंपती में ग़ज़ब की ऊर्जा और साहित्य को लेकर कुछ करने का जज़्बा देखकर मुझे बहुत प्रेरणा मिली।आपकी सादादिली और आत्मीयता दिल को छू गई। मैं आप दोनों के उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु होने की कामना करता हूं।
मैंने आप दोनों को अपने पहले ग़ज़ल संग्रह "दर्द का अहसास" की प्रति भेंट करके आशीर्वाद लिया।डाक्टर ज़हीर साहब ने कहा कि मैं आपकी किताब की समीक्षा ज़रूर लिखूंगा।इस कार्य हेतु मैंने अग्रिम धन्यवाद ज्ञापित करते हुए दंपती से विदा ली।
     (श्रीमती और श्री सिद्दीक़ी साहब को अपनी पुस्तक
       "दर्द का अहसास" की प्रति भेंट करते हुए मैं)

 ---- ओंकार सिंह विवेक 

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