मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। साहचार्य से रहने में ही जीवन की सार्थकता है।मनुष्य समाज में रहकर बहुत कुछ सीखता और गुनता है। अत: उसका दायित्व बनता है कि वह समाज को भी कुछ दे। स्वार्थ भाव से ऊपर उठकर समाज की सेवा भी करे।समाज सेवा के विभिन्न माध्यम हो सकते हैं। साहित्य सृजन के माध्यम से भी समाज की सेवा की जा सकती है।
अपनी समृद्ध लेखनी से समाज के लिए योगदान कर रहे पांच साहित्यकारों को साहित्य, कला एवं संस्कृति को समर्पित मुरादाबाद की संस्था 'संकेत' द्वारा अपने रजत जयंती वर्ष पर एम आई टी मुरादाबाद में एक भव्य समारोह में सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एम आई टी के चेयरमैन श्री सुधीर गुप्ता जी ने साहित्यकारों से अपील की कि वे समाज में हो रहे नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों के क्षरण को रोकने का संदेश अपनी रचनाओं के माध्यम से देने का सतत प्रयास करते रहें।मुख्य अतिथि बाल संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर विशेष गुप्ता ने वर्तमान समाज में हो रही अनेक जघन्य हत्याओं और अमानवीय कृत्यों को लेकर चिंता प्रकट की तथा इनके सामाजिक कारणों की पड़ताल करते हुए साहित्यकारों को इन विषम परिस्थितियों में उनके दायित्व का बोध कराया। विशिष्ट अतिथियों इंजीनियर उमाकांत गुप्ता,प्रबंधक दयानंद डिग्री कॉलेज मुरादाबाद तथा डॉक्टर महेश दिवाकर अध्यक्ष अंतरराष्ट्रीय साहित्य-कला मंच ने कहा कि साहित्यकार अपने साहित्य सर्जन द्वारा भारतीय सभ्यता और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन में महती भूमिका निभा सकते हैं।मंच पर आसीन अतिथि प्रमुख बाल साहित्यकार श्री राजीव सक्सैना जी ने गहन चिंतन और मनन के द्वारा स्तरीय साहित्य सर्जन की आवश्यकता पर बल दिया।
साहित्यिक मुरादाबाद समूह के संस्थापक और संचालक श्री मनोज रस्तोगी जी द्वारा "संकेत" की स्थापना से लेकर अब तक के इसके सफ़र की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। सम्मानित किए जा रहे साहित्यकारों के जीवनवृत्त तथा साहित्यिक उपलब्धियों से भी सदन को परिचित कराया गया।
कार्यक्रम में निम्न पांच साहित्यकारों को उनके साहित्यिक अवदान के लिए मंचासीन अतिथियों द्वारा अंगवस्त्र, प्रशस्ति पत्र,स्मृति चिह्न तथा पुस्तक आदि भेंट करके सम्मानित किया गया :
1. डॉक्टर प्रेमवती उपाध्याय,मुरादाबाद
2. श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद
3. प्रेमचंद प्रेमी ,धामपुर
4. ओंकार सिंह विवेक ,रामपुर
5. मीनाक्षी ठाकुर, मुरादाबाद
कार्यक्रम में सम्मानित किए गए साहित्यकारों की रचनाओं के संकलन "साधना के पथ" का लोकार्पण भी उपस्थित अतिथियों और साहित्यकारों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। अतिथिगणों ने सम्मानित हुए रचनाकारों के काव्य पाठ का भी आनंद लिया।
इस अवसर पर अच्छी संख्या में आमंत्रित अतिथिगण तथा प्रमुख साहित्यकार उपस्थित रहे।कार्यक्रम का संचालन संस्था के अध्यक्ष श्री अशोक विश्नोई जी तथा महासचिव श्री शिशुपाल मधुकर जी द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।कार्यक्रम के संयोजन में उत्साही युवा साहित्यकारों प्रिय राजीव प्रखर जी और दुष्यंत बाबा जी का विशेष सहयोग रहा।
संस्था द्वारा मुझ अकिंचन की लेखनी को प्रोत्साहन प्रतिसाद प्रदान करने हेतु हार्दिक आभार प्रकट करते हुए मैं संस्था की उत्तरोत्तर प्रगति की कामना करता हूं।
प्रस्तुतकर्ता : ओंकार सिंह विवेक
ग़ज़लकार/समीक्षक/कॉन्टेंट राइटर/ब्लॉगर
(ब्लॉगर की गोपनीय पॉलिसी के तहत सर्वाधिकार सुरक्षित)
Wah wah, sundar karykram ki badhai sabhi ko
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।
DeleteSundar karykram ki sabhi ko badhai
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteबहुत बहुत बधाई!
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।
Delete