October 6, 2022

यादों के झरोखों से (कड़ी -३)

नमस्कार दोस्तो🙏🙏

'यादों के झरोखों से' सिलसिले की तीसरी कड़ी लेकर आपके सम्मुख उपस्थित हूं।रोचक संस्मरणों की पहली कड़ी में आपके लिए पल्लव काव्य मंच की एक पुरानी काव्य गोष्ठी का वृतांत प्रस्तुत किया था। दूसरी कड़ी में अपने शहर की एकता विहार कॉलोनी के वरिष्ठ नागरिक संघ की काव्य गोष्ठी और उस कॉलोनी से जुड़ी अपनी यादों को विस्तार से साझा किया था।मुझे इस बात की बेहद ख़ुशी है कि दोनों ही कड़ियों को आपके द्वारा पसंद किया गया जिसका प्रमाण आप द्वारा ब्लॉग पर पोस्ट किए गए कॉमेंटस हैं।
 आज मैं कुछ वर्ष पूर्व अपने शहर की संस्था
' तहरीक-ए-अदब रामपुर' द्वारा आयोजित कराई गई एक शानदार नशिस्त से रूबरू कराता हूं।
इस संस्था के पदाधिकारियों श्री नईम नजमी और फ़ैसल मुमताज़ द्वारा मुझे इस नशिस्त में शिरकत के लिए निमंत्रण दिया गया था।श्री नईम नजमी साहब एक बेहतरीन इंसान और उम्दा शायर हैं जो हिंदुस्तान भर में आयोजित किए जाने वाले मुशायरों में रामपुर का नाम रौशन करते रहे हैं।  फ़ैसल मुमताज़ एक नौजवान शायर हैं और राजनीति में भी रुचि रखते हैं।उनका सामाजिक सरोकारों से भी ख़ासा वास्ता है।  

इस नशिस्त में रामपुर के प्रसिद्ध वकील और अदब नवाज़ श्री शौकत अली ख़ां साहब के साथ-साथ शहर के तमाम मशहूर शायर और दानिश्वर मौजूद थे।एक अरसे बाद इस तरह की किसी अदबी सरगर्मी का हिस्सा बनकर मुझे बहुत  ख़ुशी हो रही थी।
मेरे ज़ेहन में तमाम पुरानी यादें ताज़ा हो गईं। मैं इसी मुहल्ले में (ज़ियारत ख़ुरमा) जहाँ यह नशिस्त हो रही थी मुहतरम जनाब हकीम शब्बीर अली ख़ान तरब ज़ियाई साहब के यहां जाकर बैठा करता था।शाम को अपने बैंक से छुट्टी के बाद उनके यहाँ लगभग एक से दो घंटे बैठना होता था।दुर्भाग्य से तरब साहब अब हमारे बीच नहीं हैं,ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। तरब साहब से शायरी की इस्लाह के साथ-साथ भाषा संबंधी और भी तमाम बारीकियाँ सीखने को मिलती थीं। वहाँ रोज़ बैठने के कारण मुझे आसपास के सभी लोग अच्छी तरह जान गए थे।यदि  मजबूरी के कारण किसी दिन मैं नहीं जा पाता था तो लोग तरब साहब से मेरा हालचाल पूछने लगते थे।यह लोगों की सादा दिली और आत्मीयता ही थी। तरब साहब एक बेहतरीन इंसान थे।उनके बारे में विस्तार से फिर किसी पोस्ट में बताऊंगा। 
जब यह पोस्ट लिख रहा हूं तो कितने ही शायरों के नाम मुझे याद आ रहे हैं जिनसे तरब साहब के यहां अक्सर मुलाक़ात हो जाया करती थी। मुहतरम शौक़ असरी,होश नोमानी,शीन सीन आलम, नईम नजमी, फैसल मुमताज़,ताहिर फ़राज़, इफ्तेख़ार ताहिर, शकील वफ़ा,अहमद ख़ां,जमशेद नादिम, अदनान ज़ियाई, ज़हीर रहमती,साक़िब रामपुरी, अज़ीज़ बक़ाई, अशफ़ाक़ ज़ैदी, आले अहमद ख़ां सुरूर, मुर्तज़ा फ़रहत आदि  आदि।

मुझे लगता है कुछ विषयांतर हो रहा है अत: मुद्दे पर आते हुए इस नशिस्त में मौजूद रहे कुछ शायरों के अच्छे अशआर आपके साथ साझा करता हूं :

 यूं तो सबसे हिजाब करते हैं,
 आईनों से खिताब करते हैं।
           फ़ैसल मुमताज़

इस रात के लिए ख़ाली दिया था काफ़ी,
लेकिन चराग़ सारे बेकार जल रहे हैं।
        ज़हीर रहमती

जबसे मुजरिम पकड़ के लाए हैं,
फ़ोन थाने के घनघनाए हैं।
देखकर हाल आज गंगा का,
शिव भी आँसू न रोक पाए हैं।
          ओंकार सिंह विवेक

मेरे कांधों पे ख़ानदान का बोझ,
जैसे बुनियाद पर मकान का बोझ।
रख लिया दोश पर हवाओं ने,
ऐ परिंदे तेरी उड़ान का बोझ।
         नईम नजमी 
इस नशिस्त के आयोजकों  ने बड़े ही प्रेम से सबका स्वागत- सत्कार करके बहुत ही उत्तम जलपान की व्यवस्था की थी।अंत में सभी को प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया गया था।

मेरा मानना है कि उर्दू नशिस्तों या हिंदी काव्य गोष्ठियों के ऐसे कार्यक्रम निरंतर होते रहने चाहिए जिससे कवियों/शायरों में कुछ नया लिखने का जोश बना रहता है और इस बहाने एक दूसरे के हालचाल भी मालूम होते रहते हैं।
दोस्तो इसी के साथ आपसे विदा लेता हूं।जल्द ही इस सिलसिले की चौथी कड़ी के साथ आपकी सेवा में फिर हाज़िर होऊंगा।
धन्यवाद ,नमस्कार🌹🌹🙏🙏

8 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (08-10-2022) को   "गयी बुराई हार"   (चर्चा अंक-4575)    पर भी होगी।
    --
    कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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    1. जी आदरणीय, हार्दिक आभार।

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  2. नशिस्त का खूबसूरत ब्यौरा जानकर बहुत अच्छा लगा। वाक़ई ऐसी बैठकें, नशिस्त, गोष्ठियाँ आदि होती रहनी चाहिए।

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    1. हार्दिक आभार माथुर साहब 🌹🌹🙏🙏

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  3. बीते दिनों की खूब सूरत यादें ! साझा की हैं
    दिल से शुक्रिया भाई विवेक जी ।
    \\\~~~~~~~~~~~~~~~~~~ चंदन ,

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  4. बहुत शानदार निशस्त मुबारकबाद

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