दोस्तो नमस्कार 🌷🌷🙏🙏
आज श्रावण मास का आख़िरी सोमवार है।श्रद्धालु भोले बाबा को कांवर चढ़ाने को लेकर अति उत्साहित हैं। हाइवेज़ पर कांवड़ियों की भारी भीड़ चल रही है।जगह- जगह उनके सम्मान में भंडारे चल रहे हैं। पूरा वातावरण श्रद्धा तथा उल्लास से भरा हुआ है।
सावन मास में रिमझिम वर्षा से यों तो हर और हरियाली की निराली छटा दिखाई दे रही है परंतु सावन की वर्षा का एक दूसरा रूप भी दिखाई दे रहा है।कहीं बारिश अनुकूल है तो कहीं अति जलवृष्टि से भयानक तबाही भी मची है। कहने को तो यह बारिश का मौसम है परंतु कुछ जगह सूखे के हालत भी बने हैं।इन्हीं सब विरोधाभासों को लेकर एक मुक्तक कहा है।
अपनी प्रतिक्रियाओं से अवश्य ही अवगत कराएं 🙏
मुक्तक
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वर्षा का दिन रात कहीं पर तांडव जारी है,
और कहीं खेती-बाड़ी पर सूखा भारी है।
संग धरा के जो ऐसा बर्ताव करे है तू,
श्रावण माह बता किसने तेरी मति मारी है।
-----ओंकार सिंह विवेक
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
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