September 23, 2022

गाँव-गाँव की बात

   

गाँव-गाँव की बात 

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नीचे जो शानदार तस्वीरें आप देख रहे हैं ये किसी महानगर का दृश्य नहीं है बल्कि बारिश में भीगते स्विट्जरलैंड के एक गाँव का दृश्य है।चौंक गए न आप! यह सुनकर परंतु यही सच है। स्विट्जरलैंड के ही किसी व्यक्ति ने लाइव वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड किया था।मुझे यह चित्र बहुत अच्छा लगा सो मैंने साभार इसका स्क्रीनशॉट लेकर आपके साथ साझा कर दिया।

(सभी चित्र गूगल/सोशल मीडिया से साभार)
अगर ध्यान से देखें तो हमें यह किसी पहाड़ी नगर का मनभावन दृश्य-सा लगता है जबकि यह एक छोटे से यूरोपीय देश स्विटजरलैंड के किसी गाँव की मोहक तस्वीरें हैं।इसी से अंदाज़ा हो जाता है कि शहरों की बात तो छोड़ ही दीजिए यूरोपीय देशों के गाँव भी कितने विकसित हैं।
यदपि अपने देश में भी अब ग्रामीण विकास के लिए काफ़ी सराहनीय प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन दिल्ली अभी बहुत दूर है।
भारत की अर्थव्यवस्था पूर्ण रूप से गाँवों पर टिकी है। कृषि प्रधान भारत देश की 60 प्रतिशत जनसंख्या गाँवों में बसती हैं और उसका मुख्य कार्य कृषि और पशुपालन ही है।अतः आधे भारत की अनदेखी करके भारत प्रगति के पथ पर आगे नहीं बढ़ सकता।इसलिए कृषि,उद्योग,शिक्षा,चिकित्सा, बिजली,सड़क और संपर्क मार्गों तथा स्वच्छ पानी आदि की समस्याओं को लेकर हमारे यहां अभी बहुत कुछ करने की ज़रूरत है। नि:संदेह पहले की अपेक्षा हर मामले में भारतीय गाँवों की तस्वीर बदली है परंतु आज भी ऐसे बहुत से गाँव मौजूद हैं जैसी तस्वीर नीचे साझा की गई है :
चित्र : गूगल से साभार 
समय-समय पर केंद्र सरकार की ओर से गाँवों के चहुमुखी विकास के लिए कदम उठाए गये हैं। ग्रामीण विकास मंत्रालय गंभीरता से योजनाएँ बनाकर उनका क्रियान्वयन भी कर रहा है।
बेरोज़गरी निवारण,  प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना, मनरेगा, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, अटल आवास योजना, स्वच्छता कार्यक्रम, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, जननी सुरक्षा योजना, विद्युत् कनेक्शन योजना आदि सरकारी योजनाओं से गाँवों के स्तर को सुधारने में बड़ा लाभ हुआ है परंतु इस दिशा में मज़बूत इच्छा शक्ति के साथ अभी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। तेज़ी से होता शहरीकरण भी गाँवों के विकास की यात्रा को बाधित करने का एक बड़ा कारण है।शहरीकरण और ग्रामीण विकास में संतुलन बनाकर चलना होगा।
महात्मा गांधी ने कहा था कि भारत की आत्मा गाँव में बसती है अत: गाँवों की समस्याओं को हल करके ही भारत का विकास संभव है। सभ्यता और संस्कृति के संरक्षण के लिए गाँव में अधिक से अधिक आधुनिक सुख सुविधाएँ एवं उद्योगों की स्थापना करके भारत को विकास के पथ पर  बढ़ाया जा सकता है।
तो आइए इस दिशा में गंभीरता से सोचकर सार्थक प्रयास करें ताकि किसी भारतीय गाँव की ऐसी तस्वीर न रहे जैसी ऊपर के चित्र में दिखाई देती है।
अंत में ताहिर अज़ीम साहब के इस शेर के साथ आपसे इजाज़त चाहता हूं :
 शहर की इस भीड़ में  चल तो रहा हूँ,

  ज़ेहन में पर गाँव का नक़्शा रखा है।

            ---- शायर ताहिर अज़ीम      

रिमझिम यह बरसात👌👌☘️☘️

ओंकार सिंह विवेक 

12 comments:

  1. सही कहा है आपने, भारत को अभी बहुत दूर जाना है पर हर यात्रा पहले कदम से शुरू की जाती है

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    1. जी आभार आपका।पर पहला क़दम तो बहुत पहले उठाया जा चुका है हमारे यहां।

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  2. जी बिल्कुल सही कहा आपने ।ऐसे ऐसे गाँव अभी भी हैं जहाँ विकास के नाम पर बस एकाध सड़क बन जाती है और कुछ दिन बाद ही खस्ताहाल हो जाती है ।

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    1. मेरे पक्ष को बल प्रदान करने के लिए आभार आदरणीया।

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  3. देश के हर नागरिक की भी ज़िम्मेदारी बनती है । अभी बहुत प्रयास करना बाकी है ।।

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    1. जी सही फ़रमाया आपने 🙏🙏

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  4. भारत में पेड़ काटे जाते हैं और बगीचों को उजाड़ा जाता है
    जागरूकता की बहुत कमी है

    सुंदर प्रस्तुति

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    1. जी मान्यवर ठीक कहा आपने।

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  5. बहुत सारगर्भित तथ्योवको उठाया है आपने ।विचारणीय और प्रशंसनीय आलेख ।

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