तलाश किताब के नाम की
दोस्तो आप सबको पता ही है कि "दर्द का एहसास" के नाम से मेरा पहला ग़ज़ल संकलन वर्ष 2021 में आ चुका है।उसके रस्म-ए-इजरा (लोकार्पण)और समीक्षा आदि से संबंधित कई ब्लॉग पोस्ट्स में पहले आप लोगों के साथ साझा कर चुका हूं। स्मरण हेतु पुन: उसका कवर पेज आपके साथ साझा कर रहा हूं :
आजकल मैं अपने दूसरे ग़ज़ल संकलन की तैयारी को अंतिम रूप देने में लगा हुआ हूं। मेरा पिछला संकलन 58 ग़ज़लों का 80 पृष्ठों की पुस्तक के रूप में छपा था।इस बार 85-90 ग़ज़लों का लगभग 120 पृष्ठ का संकलन छपवाने की योजना है।अपनी तरफ़ से पांडुलिपि लगभग तैयार कर चुका हूं बस कुछ ग़ज़लों पर नज़र-ए-सानी (अंतिम नज़र डालना) कर रहा हूं।कुछ ग़ज़लों को जब पुन: पढ़ता हूं तो कहन की दृष्टि से बार-बार कुछ न कुछ सुधार की ज़रूरत महसूस होने लगती है।यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। जैसे-जैसे हमारा ज्ञान और चिंतन विकसित होता है,हमें अपने पुराने सृजन में सुधार की गुंजाइश महसूस होने लगती है।ऐसा आपके साथ भी अवश्य होता होगा। अध्ययन,सृजन और सीखने की यह प्यास जीवन भर बनी रहनी चाहिए,ऐसा मैं मानता हूं।
किताब छपवाना भी किसी साधना से कम नहीं होता।सबसे पहले जतन से अच्छा कॉन्टेंट तैयार करना,उसको बार-बार परिष्कृत करके स्तरीय बनाना फिर पांडुलिपि को किसी विषय विशेषज्ञ को समीक्षा करने या भूमिका लिखने के लिए भेजना , विद्वजनों से आशीर्वाद स्वरूप उनके संदेश प्राप्त करना आदि आदि। फिर किताब को प्रेस में देना उसके बाद प्रूफ रीडिंग ,सेटिंग और तरतीब देना आदि अनेक महत्वपूर्ण काम पूरी मेहनत और एकाग्रता चाहते हैं।इन सबके के लिए मानसिक शक्ति, समय प्रबंधन तथा आर्थिक संसाधन आदि की ज़रूरत होती है।फिर किताब के विमोचन/लोकार्पण आदि का प्रबंध करना,जिनसे कार्यक्रम में समीक्षा करानी है उन्हें पुस्तक उपलब्ध कराना और भी न जाने क्या क्या ---। यह सब सफलता पूर्वक संपन्न करना ऐसा ही आभास कराता है जैसे घर में शादी अथवा अन्य कोई समारोह आयोजित करा लिया गया हो।
यदि मन में समर्पण की भावना और कुछ करने की लगन हो तो कार्य अंजाम तक पहुंच ही जाता है। दोस्तो उम्मीद है कि आप सबके आशीर्वाद से यह काम भी पूर्ण हो ही जाएगा।
अब मुद्दे की बात पर आता हूं। दरअस्ल इस ग़ज़ल संकलन का मैं अभी तक कोई शीर्षक/नाम नहीं चुन पाया हूं अत: आप सबसे आग्रह करता हूं कि मेरे आने वाले ग़ज़ल संग्रह का कोई उपयुक्त नाम सुझाइए और इस ब्लॉग पोस्ट के कॉमेंट बॉक्स में मुझे लिख भेजिए। वैसे तो आप सब सुधी पाठक/साहित्यकार बंधु मेरे रचना कर्म से भली भांति परिचित हैं क्योंकि मैं अपनी सभी ग़ज़लें और अन्य रचनाएँ निरंतर ब्लॉग पर साझा करता रहता हूं फिर भी संदर्भ के लिए बता दूं कि मेरी ग़ज़लों का कथ्य सामाजिक विसंगतियों और जन सरोकारों से जुड़ा होता है।
यदि सुझाया गया नाम पसंद आया तो मैं किताब का नाम सुझाने वाले व्यक्ति का उल्लेख "आत्म निवेदन" में करूंगा और किताब की एक प्रति भी भेंट करूंगा।
सादर 🙏🙏
ओंकार सिंह विवेक
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