July 5, 2022

अखिल भारतीय काव्यधारा रामपुर -उ०प्र० का कवि सम्मेलन और साहित्यकार सम्मान समारोह

दिनाँक ३जून,२०२२ को अखिल भारतीय काव्यधारा साहित्यिक संस्था रामपुर उ ०प्र ०का एक और साहित्यिक अनुष्ठान संपन्न हुआ जिसमें मुझे भी सहभागिता का सुअवसर प्राप्त हुआ।
कार्यक्रम में अनेक वरिष्ठ और उदीयमान साहित्यकारों को सम्मानित करने के साथ ही भव्य कवि सम्मेलन का भी शानदार आयोजन किया गया।संस्था संस्थापक आदरणीय श्री जितेंद्र कमल आनंद जी के कुशल निर्देशन में संस्था यों ही अलख जगाती रहे।
उल्लेखनीय है कि यह साहित्यिक संस्था अपनी नि:स्वार्थ साहित्य सेवा के लिए अब राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुकी है। कोरोना काल में संस्था के ऑनलाइन कार्यक्रम निरंतर जारी रहे।अब स्थितियां सामान्य होने पर संस्था द्वारा ऑफलाइन कार्यक्रमों का सिलिसिला भी शुरू किया जा चुका है।संस्था के संस्थापक आदरणीय श्री जितेंद्र कमल आनंद जी अपनी संस्था के व्हाट्सएप और फेसबुक साहित्यिक मंचों पर उदीयमान साहित्यकारों को निरंतर साहित्य सृजन की बारीकियां सिखाने में व्यस्त रहते हैं।
मैं संस्था की उत्तरोत्तर प्रगति और श्री आनंद जी के दीर्घायु होने की कामना करता हूं।
पढ़िए कार्यक्रम में मेरे द्वारा प्रस्तुत की गई ग़ज़ल के कुछ 
अशआर : 
ग़ज़ल-- ओंकार सिंह विवेक
            
            अच्छे लोगों  में   जो  उठना-बैठना  हो  जाएगा,
            फिर  कुशादा  सोच  का भी दायरा  हो जाएगा।

            क्या पता था हिंदू-ओ-मुस्लिम की बढ़ती भीड़ में,
            एक   दिन   इंसान    ऐसे  लापता   हो   जाएगा।

           और बढ़ जाएगी फिर मंज़िल को पाने की ललक,
           जब कठिन  से  ये  कठिनतर  रास्ता  हो जाएगा।

            सुन रहे  हैं कब  से  उनको  बस  यही कहते हुए,
            मुफ़लिसी का मुल्क से अब ख़ातिमा हो जाएगा।

            कर  लिया करते  थे पहले शौक़िया  बस शायरी,
             क्या पता था इस क़दर इसका नशा हो जाएगा।
             
             आओ  सबका  दर्द  बाँटें,सबसे  रिश्ता जोड़ लें,
             इस तरह इंसानियत का हक़  अदा हो जाएगा।

             फिर ही जाएँगे यक़ीनन दश्त के भी दिन 'विवेक', 
             अब्र का  जिस रोज़ थोड़ा  दिल  बड़ा हो जाएगा।
                               --ओंकार सिंह विवेक
                                   (सर्वाधिकार सुरक्षित)

4 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (06-07-2022) को चर्चा मंच         "शुरू हुआ चौमास"  (चर्चा अंक-4482)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'    
    --

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय। ज़रूर हाज़िर रहूंगा

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  2. Replies
    1. जी बहुत-बहुत शुक्रिया!!!

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