March 8, 2022

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष

लो फिर आ गया हर वर्ष की भांति महिला दिवस।फिर बुद्धिजीवियों को सभाओं/सेमिनारों और सरकारी आयोजनों के माध्यम से महिला विकास और सशक्तिकरण को लेकर लंबे-लंबे मार्मिक भाषण देने का अवसर प्राप्त हो गया।आज दिन भर महिला शक्ति को लेकर बहसें और आयोजन चलेंगे और  फिर साल भर के लिए लोग महिलाओं के प्रति अपने दायित्व और उसके अधिकारों की बातों को भूल जाएँगे।
निःसंदेह महिलाओं की स्थिति पहले से बहुत बेहतर हुई है समय के साथ पर इसका मतलब यह भी नहीं है कि हम इस बात को विस्मृत कर दें कि पुरातन काल में भी महिला सशक्त और सक्षम रही है।हम इतिहास के पन्ने पलटते हैं तो पाते हैं कि पहले भी महिलाओं ने अपनी बहादुरी और सूझबूझ के झंडे गाड़े हैं,देश और समाज के निर्माण में महती भूमिका निभाई है।इसलिए यह कह देना शायद ठीक नहीं होगा कि महिला आधुनिक युग में ही सशक्त हुई है।
इस तरह वर्ष में किसी एक दिन को महिला दिवस के रूप में मनाने को लेकर  लोग पक्ष और विपक्ष में अपने-अपने तर्क देते हैं।
एक मत यह है कि किसी एक दिन को महिला  दिवस का नाम देकर लोग महिला की महत्ता को कम करके आँकने का प्रयास करते हैं और केवल एक दिन उसका गुणगान करके अपनी ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं। इस दिवस को लेकर दूसरा पहलू और मत यह है कि निःसंदेह महिला शक्ति की महत्ता को स्वीकारने और उसे मान-सम्मान देने का कोई एक दिन नियत नहीं हो सकता वह तो साल के 365 दिन और हर लमहा शक्ति स्वरूपा है और उसके सहयोग और सानिध्य के बिना पुरुष किसी भी दशा में पूर्णता को प्राप्त नहीं कर सकता परंतु फिर भी इस तरह के आयोजन नारी वर्ग को यह आभास तो कराते ही हैं कि पुरुष समाज उनके मान-सम्मान और महत्ता को लेकर अपने दायित्व से विमुख नहीं है। अतः इस अवसर की प्रासंगिकता तभी है जब पुरुष वर्ग भाषणों और आयोजनों से सिर्फ़ आज ही नारी शक्ति का बखान न करे अपितु वर्ष भर/जीवन भर नारी शक्ति की महत्ता को पहचाने और उसका सम्मान करना सीखे।
आइए इस अवसर पर यही कामना करें कि संसार में  नारी शक्ति हर क्षेत्र में  निरंतर  बेहतर प्रदर्शन करके और भी शिद्दत से अपनी  शक्ति का लोहा मनवाती रहे ।
 
महिला शक्ति के सम्मान में कुछ दोहे
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                                -----ओंकार सिंह विवेक
🌷
बस घर  के ही काम  में,रत  रहना दिन-रात,
अब  महिलाओं के लिए,  हुई  पुरानी  बात।
🌷
आज  विश्व  में नारियाँ, करके  दुर्लभ  काम,
धरती से आकाश तक, कमा  रही  हैं  नाम।
🌷
दफ़्तर  में  भी  धाक है ,घर  में  भी  है राज,
नारी  नर  से कम नहीं,किसी बात में आज।
🌷
जिस  घर में  होता नहीं ,नारी  का  सम्मान,
उस घर  की होती नहीं,ख़ुशियों से पहचान।
🌷
            ----ओंकार सिंह विवेक
चित्र--गूगल से साभार



2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (09-03-2022) को चर्चा मंच       "नारी  का  सम्मान"   (चर्चा अंक-4364)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'   

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