March 5, 2022

लोकतंत्र और चुनाव

लोकतंत्र में जनता द्वारा किए गए मतदान से जनप्रतिनिधियों का चुना जाना और  फिर एक निर्धारित प्रक्रिया द्वारा सूबे और केंद्र में सरकारों का गठन निःसंदेह एक पारदर्शी पद्धति है।
पर गहराई से पिछले तमाम चुनावों का अगर विश्लेषण करें तो हम पाएँगे की लगभग देश की आधी आबादी तो अपने वोट का प्रयोग करने में रुचि ले ही नहीं रही है।पिछले कई चुनावों के ट्रेंड तो यही बताते हैं कि मतदान का औसत प्रतिशत 60 से 65 ही रहता है।इस 60 से 65 प्रतिशत में से जिस दल या पार्टी को 30 प्रतिशत भी वोट मिल जाते हैं वह सरकार बनाने में सक्षम हो जाती है।इसे यह तो  कदापि नहीं कहा जा सकता कि ऐसी सरकार अधिकांश आबादी की सहमति का प्रतिनिधित्व करती है।
व्यवस्था में कुछ इस प्रकार सुधार की आवश्यकता महसूस होती है कि अधिकतम आबादी जो वोट देने की अर्हता रखती है आवश्यक रूप से मतदान करे ताकि जनप्रतिनिधियों की सही लोकप्रियता का अनुमान हो सके ।इसके लिए मतदाताओं की वोट डालने की कोई वैधानिक बाध्यता भी निर्धारित की जानी चाहिए ताकि लोकतंत्र में इस चुनाव पद्धति का न्यायसंगत मूल्यांकन हो सके और इसकी प्रासंगिकता बनी रहे।
चित्र--गूगल से साभार

4 comments:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (06 मार्च 2022 ) को 'ये दरिया-ए गंग-औ-जमुन बेच देंगे' (चर्चा अंक 4361) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  2. आदरणीय ओंकार सिंह जी, आपने लोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया में व्याप्त एक त्रुटि की ओर इंगित किया है। प्रजातंत्र में प्रतिनिधियों का चुनाव सभी के प्रतिभागिता द्वारा हो, इसे सुनिश्चित करने के लिए चुनाव में काफी सुधार के लिए जरूरत है। सबसे पहके तो यह भी आवश्यक है कि मतदाताओं को सही मायने में शिक्षित होना चाहिए। दागी नेताओं की भी एक समस्या है। बेकार कानूनों को हटाना जरूरी है। बहुत सी बातें हैं।

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    1. जी आदरणीय सहमत हूँ आपसे🙏🙏

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