March 4, 2022

जो ठीक है वह ठीक है

किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में जितनी ज़रूरी पूर्ण बहुमत की सरकार होती है उतनी ही ज़रूरी एक मज़बूत विपक्ष की भूमिका भी होती।अक्सर ऐसा देखने में आया है कि मज़बूत विपक्ष न होने से कभी-कभी सत्ता पक्ष के निरंकुश होने का ख़तरा बढ़ जाता है।
विपक्ष की भूमिका ही यह है कि वह सरकार के निरंकुश होने की   स्थिति में उसके के प्रति अपना विरोध दर्ज कराए।लेकिन सशक्त विपक्ष की यह भी ज़िम्मेदारी है कि वह महज़ विरोध के लिए सरकार का  विरोध न करे अपितु किसी सार्थक और जाइज़ मुद्दे पर ही विरोध दर्ज कराए ताकि उसे जन समर्थन भी हासिल हो सके।
पिछले कुछ दिनों में अपने देश भारत में यह देखने में आया कि देश की सुरक्षा और संप्रुभता जैसे संवेदनशील मुद्दों पर सरकार द्वारा लिए गए कुछ अच्छे निर्णयों का भी विपक्षी पार्टियों द्वारा विरोध किया गया जो  दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा।विपक्ष को चाहिए कि कम से कम राष्ट्रहित के सही  फ़ैसलों पर तो सरकार को कटघरे में खड़ा न करे।विपक्षी दलों की ऐसी भूमिका से देश और विदेश में तमाम विपरीत विचारधारा के लोग फ़ायदा उठाने की कोशिश करने लगते हैं जो देश के लिए सही नहीं।
आज पहली बार रूस-यूक्रेन युद्ध के मौक़े पर देश की विपक्षी पार्टियों ने भारत सरकार की विदेश नीति और उसके स्टैंड की एक सुर में प्रशंसा करते हुए उससे सहमति जताई जो एक अच्छा क़दम है।राष्ट्रहित से जुड़े मुद्दों पर कभी किसी को भी राजनैतिक लाभ लेने के लिए अनर्गल बयानबाज़ी से दूर ही रहना चाहिए।
 उम्मीद की जानी चाहिए कि आगे भी विपक्ष का इसी तरह का  रचनात्मक रवैया देखने को मिलेगा और सरकार भी राष्ट्रहित से जुड़े मुद्दों पर विपक्ष को विश्वास में लेकर स्वस्थ्य चिंतन प्रक्रिया को बहाल रखेगी जिससे कि भारतीय लोकतंत्र दुनिया में मिसाल क़ायम कर सके।
जय हिंद, जय भारत🙏🙏
@ओंकार सिंह विवेक
चित्र--गूगल से साभार
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