March 21, 2022

पानी रे पानी!!!!!!विश्व जल दिवस पर

कल यानी 22 मार्च को विश्व जल दिवस है।इस अवसर पर दुनिया भर में सेमिनार, संगोष्ठियाँ, भाषण और पोस्टर प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाएँगी।बुद्धिजीवी, राजनेता और स्कोलर्स जल संकट पर चिंता व्यक्त करेंगे अगले दिन सब भुलाकर पहले की तरह ही जल का अनुचित  दोहन शुरू हो जाएगा।

वर्षों  से यही क्रम चल रहा है।जल के अनुचित दोहन और बर्बादी से जल संसाधन निरंतर घट रहे हैं।दुनिया के कुछ इलाक़ों में लोग एक घड़े पानी के लिए मीलों-मील पैदल चलकर जाते हैं और कभी-कभी निराश होकर ख़ाली भी लौटते हैं या गंदा पानी भरकर लाने को मजबूर होते हैं।दुनिया के तमाम क्षेत्रों में जल का संकट विकराल रूप ले चुका है।
हम सभी जानते हैं कि जल हमारे के अस्तित्व के लिए कितना ज़रूरी है।पानी या जल के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं कि जा सकती।प्यास बुझाने,नहाने,कपड़े धोने,किसी निर्माण या वाहनों आदि की सफ़ाई और धुलाई के लिए पानी की ही ज़रूरत होती है। अन्न ,जो जीवन के लिए सबसे ज़रूरी है,उगाने के लिए भी पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है।ग़रज़ यह कि जीवन को सुचारु रूप से चलाने के लिए हर क्ष्रेत्र में पानी की ज़रूरत पड़ती है।क़ुदरत ने इंसान को वह हर चीज़ उपलब्ध कराई है जो उसके जीवन के लिए ज़रूरी है परंतु प्राकृतिक संसाधनों की भी अपनी एक सीमा होती है।जब मनुष्य प्रकृति द्वारा उपलब्ध कराए गए संसाधनों का अनुचित दोहन या दुरुपयोग करेगा तो एक दिन उसके जीवन पर संकट आना तय है।जल संसाधनों के साथ आज यही हो रहा है।घरों में अनावश्यक नल खुले रहते हैं, सार्वजनिक स्थानों पर जल साधनों का उपयोग करके लोग पानी बहता ही छोड़ जाते हैं ,गाड़ियों की धुलाई या अन्य व्यवसायिक कार्यों में भी जितने जल की ज़रूरत होती है उससे कहीं अधिक का प्रयोग किया जा रहा है या यूँ कहें कि पानी को बरबाद किया जा रहा है तो ग़लत नहीं होगा।बड़े-बड़े बोरवेल लगाकर पानी को खींचा जा रहा है जिससे जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है।पेड़ों और वनों का अंधा-धुंध कटान हो रहा है जिससे बारिश की संभावनाओं में कमी आ रही है।अगर यही हाल रहा तो वो दिन दूर नहीं जब दुनिया की आधी आबादी बूँद-बूँद जल को तरसेगी।
इस समस्या से निपटने के लिए समय रहते चेतने की ज़रूरत है।हर व्यक्ति को चाहिए कि आज से ही अनुचित जल दोहन बंद करे।तालाबों और पोखरों के माध्यम से अत्यधिक वर्षा जल का संचयन सुनिश्चित किया जाए। पेड़-पौधों की जड़ें जल संचयन का भी काम करती हैं अतः पेड़ों का पोषण बहुत आवश्यक है। वाटर हार्वेस्टिंग को प्रोत्साहित किया जाए।दुनिया में तमाम ऐसे स्थान हैं जहाँ पूरे साल वर्षा होती है वहाँ जल संचयन की ठोस नीति बनाई जानी चाहिए ताकि वहाँ के पानी का ऐसी जगह प्रयोग किया जा सके जहाँ पानी की कमी है।हमारे देश भारत में चेरापूँजी ऐसा ही स्थान है जहाँ वर्ष भर वर्षा होती रहती है।वहाँ के अतिरिक्त जल का अन्यत्र उपयोग करने पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए।

जल दिवसके अवसर पर मेरे कुछ दोहे आपकी प्रतिक्रिया हेतु प्रस्तुत हैं--

विश्व जल दिवस पर कुछ दोहे 
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          ---ओंकार सिंह विवेक
🌷
जल है जीवन   के  लिए, एक बड़ा  वरदान,
व्यर्थ न  इसकी बूँद हो, रखना है यह ध्यान।
🌷
घटते जल को देखकर,चिंतित हों  सब लोग,
अब  इसका यों  हो नहीं, मनमाना उपयोग।
🌷
पेड़ों  का  होता  रहा, यों  ही  अगर  कटान,
बढ़ना ही  है  फिर यहाँ,जल संकट श्रीमान।
🌷
जल  साधन घटने लगे, संकट है  विकराल,
कैसे  इसका हल  करें,है यह  बड़ा  सवाल।
🌷
बोरिंग  के  उपयोग के,  नियम बनें  गंभीर,
नहीं   मिलेगा  अन्यथा, गहरे  में  भी  नीर।
🌷
झीलें-पोखर- बावड़ी, सबका करें  विकास,
पूरी होगी तब कहीं, जल संचय  की आस।
🌷
झूठ नहीं इनमें तनिक, सच्चे  हैं  यह  बोल,
बूँद-बूँद  में   ज़िंदगी, पानी   है   अनमोल।
🌷              ---ओंकार सिंह विवेक






6 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (23-03-2022) को चर्चा मंच     "कवि कुछ ऐसा करिये गान"  (चर्चा-अंक 4378)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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    1. हार्दिक आभार मान्यवर

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  2. बोरिंग के उपयोग के, नियम बनें गंभीर,
    नहीं मिलेगा अन्यथा, गहरे में भी नीर।

    झीलें-पोखर- बावड़ी, सबका करें विकास,
    पूरी होगी तब कहीं, जल संचय की आस।
    बिल्कुल सही कहा आपने.....
    सुन्दर लेख एवं लाजवाब दोहे।

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया

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  3. पेड़ों का होता रहा, यों ही अगर कटान,
    बढ़ना ही है फिर यहाँ,जल संकट श्रीमान।... सच कहा सर आपने।
    बहुत ही सुंदर।
    सादर

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    Replies
    1. आदरणीया आभारी हूँ आपका

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