March 18, 2022

होली के जाते-जाते

शुभ संध्या मित्रो🙏🙏
अभी आप सब होली की ख़ुमारी में ही होंगे। हों भी क्यों न आख़िर साल में एक ही बार तो होली जैसा रंग-बिरंगा मस्त त्योहार आता है।
प्रेम और भाईचारे के इस त्योहार होली के बहाने हिंदी साहित्य की  एक पुरानी परंपरा समस्या पूर्ति अनायास याद आ गई।इसमें किसी चित्र को देखकर अथवा किसी विषय विशेष या शब्द पर सर्जन करके रचना को पूर्ण रूप देना होता है।पहले साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं अथवा आयोजनों में यह बहुत प्रचलित थी पर अब समस्या पूर्ति पर आधारित काव्य सर्जन थोड़ा कम देखने में आता है परंतु अब भी कई साहित्यिक पटलों पर ऐसे आयोजन अक्सर होते रहते हैं जो बहुत अच्छी बात है।इससे लिखने का उत्साह बना रहता  है और इस बहाने किसी विधा में रचनाओँ की वृद्धि भी हो जाती है।
कासगंज-उ0 प्र0 का एक प्रतिष्ठित व्हाट्सएप्प साहित्यिक ग्रुप है जिसका नाम है "काव्यानंद" जिसके संस्थापक माननीय भ्रमर जी हैं जो बड़े विनम्र और मिलनसार व्यक्ति हैं।इस पटल पर प्रत्येक शुक्रवार को समस्या पूर्ति की कार्यशाला आयोजित की जाती है जिसका संचालन एक बहुत ही विचारशील साहित्यकार श्री तेजपाल शर्मा जी करते हैं।श्री शर्मा जी दिनभर साहित्यकारों को इस आयोजन में सहभागिता हेतु प्रेरित भी करते हैं,उनकी सदाशयता प्रणम्य है।इस आयोजन में आज एक  शब्द "होली" पर समस्या पूर्ति करनी थी जिसमें अधिकतम आठ पंक्तियों की रचना का सर्जन करना था  तथा होली शब्द का रचना के अंत में आना अनिवार्य था।
इस बहाने एक मुक्तक मैंने भी कहा जो आपके सम्मुख प्रस्तुत है--
🌷
रंगों  की   बौछार  लिए  आई  होली,      
बरगुलियों के  हार  लिए  आई होली।
आओ मिलकर नाचें, धूम-धमाल करें,
फगुआ  मस्त  बयार लिए आई होली।
🌷       ---ओंकार सिंह विवेक
             सर्वाधिकार सुरक्षित

सभी चित्र--गूगल से साभार

     




No comments:

Post a Comment

Featured Post

आज एक सामयिक नवगीत !

सुप्रभात आदरणीय मित्रो 🌹 🌹 🙏🙏 धीरे-धीरे सर्दी ने अपने तेवर दिखाने प्रारंभ कर दिए हैं। मौसम के अनुसार चिंतन ने उड़ान भरी तो एक नवगीत का स...