आया है फिर झूमकर,होली का त्योहार
पल्लव काव्य मंच रामपुर के तत्वावधान में होली के उपलक्ष्य में रंगारंग काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।गोष्ठी की अध्यक्षता मंच के संरक्षक कवि शिवकुमार चंदन द्वारा की गई तथा संचालन कवि गोपाल ठहाका द्वारा किया गया।
गोष्ठी में रचना पाठ करते हुए रामपुर के ग़ज़लकार ओंकार सिंह विवेक द्वारा होली के स्वागत में अपने उदगार कुछ यों प्रकट किए गए--
जीवन में उत्साह का, करने नव संचार,
आया है फिर झूमकर,होली का त्योहार।
खटीमा के कवि रामरतन यादव रतन ने कुछ इस प्रकार अभिव्यक्ति दी--
रंगों का पर्व आया,सॅंग में बहार लाया।
हर दिल में हैं उमंगें,फागुन का रंग छाया।
डॉ सत्येंद्र शर्मा,हिमाचल प्रदेश द्वारा प्रस्तुति--
फागुन का पर्व आया गंधमय उमंग लाया,
गाल पे गुलाल छाया,गीत है संगीत है।
कवि मान सिंह बघेल,ग़ाज़ियाबाद--
सांवरिया की वांसुरी, बाजी यमुना तीर,
मन ह्रदय रसमय करे,शीतल मंद समीर।
इनके अतिरिक्त शिवकुमार चंदन रामपुर,गोपाल ठहाका हरदोई कृष्णमुरारी लाल मानव एटा, महेंद्रपाल सिंह शाहजहाँपुर ,गीता देवी औरैया तथा राजकुमार छापड़िया मुंबई द्वारा भी कवि गोष्ठी में सस्वर काव्य पाठ किया गया।
होली के अवसर पर कही गई मेरी कुछ और रचनाओँ का भी आनंद लीजिए---
होली है
मुक्तक
रंग-गुलाल-अबीर लगाएँ होली में,
गुझिया खाएँ और खिलाएँ होली में।
मृदुता का ही भाव रखें मन में केवल,
कटुता का हर भाव जलाएँ होली में।
दोहे : होली है --सादर समीक्षार्थ
---ओंकार सिंह विवेक
जीवन में उत्साह का,करने नव संचार,
आया है फिर झूमकर,होली का त्योहार।
होली का त्योहार है,हो कुछ तो हुड़दंग,
सबसे यह कहने लगे, नीले -पीले रंग।
बच्चे आँगन में खड़े,रंग रहे हैं घोल,
रामू काका झूमकर,बजा रहे हैं ढोल।
दीवाली के दीप हों,या होली के रंग,
इनका आकर्षण तभी,जब हों प्रियतम संग।
महँगाई को देखकर,जेबें हुईं उदास,
पर्वों का जाता रहा, अब सारा उल्लास।
---ओंकार सिंह विवेक
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
बहुत-बहुत बधाई आदरणीय आपका यह कार्य हम लोगों को प्रेरित करता है बहुत-बहुत आभार अच्छा कार्यक्रम रहा आपका भी आभार
ReplyDeleteउत्साहवर्धन हेतु अत्यधिक आभार आपका🙏🙏
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