March 13, 2022

होली है--होली है--होली है

दोस्तो नमस्कार🙏🙏
रंगों,उमंगों और उल्लास का त्योहार होली दस्तक दे रहा है।वातावरण में फागुन के मस्त रंग घुले हुए हैं। सभी के तन-मन में एक अजब -सी खुमारी और मस्ती भरी हुई है।त्योहार,उत्सव और मेले अपने आप में पूरी एक संस्कृति और परंपरा को समेटे हुए होते हैं।ऐसे आयोजनों और उत्सवों का  एक ही उद्देश्य होता है कि जनमानस में नवीन ऊर्जा का संचार हो और आपसी प्रेम और भाईचारा बढ़े।त्योहार और उत्सव मिल-जुलकर मनाने से जीवन में नवीन उत्साह का संचार होता है और सहअस्तित्व की भावना का विकास होता है।
तो आइए इसी सुंदर कामना के साथ होली के रंगों में डूब जाएँ और विश्वशांति की मंगल कामना करें।

होली है  होली है  होली है

        मुक्तक

रंग-गुलाल-अबीर   लगाएँ  होली  में,
गुझिया खाएँ  और खिलाएँ होली में।
मृदुता का बस भाव रखें मन में अपने,
कटुता  का हर भाव जलाएँ होली में।

           दोहे
सरसों  फूले  खेत  में, फूल   खिलें  बाग़ान।
तो समझो ऋतुराज जी, द्वार खड़े हैं आन।।

जीवन  में   उत्साह   का,करने  नव  संचार।
आया  है  फिर  झूमकर,होली  का त्योहार।।

होली  का  त्योहार  है,हो  कुछ  तो  हुड़दंग।
सबसे   यह   कहने   लगे, नीले -पीले  रंग।।

कर में   पिचकारी  लिए, पीकर  थोड़ी भंग।
देवर   जी   डारन  चले,भौजाई   पर   रंग।।

बच्चे   आँगन   में   खड़े,रंग   रहे   हैं  घोल।
रामू  काका   झूमकर,बजा   रहे   हैं  ढोल।।

दीवाली   के   दीप   हों,या   होली   के   रंग।
इनका आकर्षण तभी,जब हों प्रियतम संग।।

महँगाई   को     देखकर,जेबें    हुईं   उदास।
पर्वों  का  जाता  रहा, अब  सारा  उल्लास।।
          ---ओंकार सिंह विवेक
           (सर्वाधिकार सुरक्षित)

      (चित्र--गूगल से साभार)

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