काश! सब समय रहते चेत जाएँ और व्यर्थ जल न बहाकर इसके संरक्षण के यथोचित उपाय करें इसी कामना के साथ🙏🙏
कुंडलिया -- ओंकार सिंह विवेक
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पानी जीवन के लिए, है अनुपम वरदान,
व्यर्थ न इसकी बूँद हो, रखना है यह ध्यान।
रखना है यह ध्यान,करें सब संचय जल का,
संकट हो विकराल,पता क्या है कुछ कल का।
करता विनय विवेक, छोड़ दें अब मनमानी,
अनुचित दोहन रोक,बचा लें घटता पानी।
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--ओंकार सिंह विवेक
सर्वाधिकार सुरक्षित
चित्र--गूगल से साभार
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