February 8, 2022

अब बहुत हुआ ऑनलाइन

कोरोना महामारी ने दुनिया को बदल कर रख दिया है इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता।इसने मिलना-जुलना,आपसी व्यवहार,कारोबार,शिक्षा और चिकित्सा के साथ-साथ और भी इंसानी ज़िंदगी से जुड़ी तमाम चीजों को बहुत हद तक बदल दिया है।
साहित्यिक गतिविधियाँ भी इसके प्रभाव से अछूती नहीं रहीं।बीमारी के डर और सुरक्षा संबंधी शासन के निर्देशों के पालन के चलते साहित्यिक आयोजन बंद हो गए।गोष्ठियों और कवि सम्मेलनों/सेमिनारों का आयोजन और उनमे जाना बंद हो गया।इससे साहित्यकारों का चिंतन और सृजन भी प्रभावित हुआ।पर क्रियाशील/चिंतनशील प्राणी हर मुश्किल या प्रतिबंध का कोई न कोई हल/तोड़ ढूँढ़ ही लेता है।साहित्यिक आयोजनों के साथ भी यही हुआ।जब सीधे किसी स्थल पर इस तरह के आयोजन सुरक्षा की दृष्टि से बंद करने पड़े तो सोशल मीडिया ने साहित्यकारों का बाहें पसार कर स्वागत किया।फटाफट फेसबुक,व्हाट्सएप्प,गूगल मीट तथा स्ट्रीमयार्ड आदि पर एकल काव्य पाठ,गोष्ठियाँ और सेमिनार शुरू हो गए और साहित्यकारों का रुका कारोबार एक भिन्न रास्ते से फिर चल निकला।कार्यक्रमों के ख़ूब पोस्टर और बैनर बनने लगे।साहित्यकारों के चेहरों की खोई चमक लौट आई।दो साल से भी अधिक ये कार्यक्रम चलते रहे जो कमोबेश अब भी जारी हैं।लेकिन जैसे हर गतिविधि या प्रक्रिया का एक पीक पॉइंट होता है वैसे ही साहित्य की इन ऑनलाइन गतिविधियों का भी रहा।अब ऑनलाइन गोष्ठियों या कवि सम्मेलनों में इतने आदमी/साहित्यकार नहीं जुड़ते जितने शुरू में जुड़ते थे।कहीं-कहीं तो एकल लाइव में एक कवि घंटे भर काव्य पाठ करता रहता है और मुश्किल से दो या तीन लोग जुड़े होते हैं।यद्यपि इसके कुछ अपवाद भी हैं लेकिन इस प्रकार के ऑनलाइन कार्यक्रमों की लोकप्रियता में कमी तो निश्चित ही आई है।
हम यही कामना कर सकते हैं कि विश्व से जल्दी कोरोना की विदाई हो और सामान्य स्थितियाँ बहाल हों ताकि फिर से एक-दूसरे से आत्मीयता से  मिलना मुमकिन हो और कवि सम्मेलनों और मुशायरों की बहुप्रतीक्षित बहारें फिर से लौटें।
जय हिंद,जय भारत🙏🙏

10 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 10 फ़रवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

    ReplyDelete
    Replies
    1. यादव जी हार्दिक आभार

      Delete
  2. वर्चुअल कार्यक्रम से वैश्विक मित्रता बढ़ी
    ऐसा कार्यक्रम होते रहना चाहिए...

    ReplyDelete
  3. कितना कोई वर्चुअल देखेगा । वैसे मुझे ऐसे कार्यक्रमों का कोई अनुभव नहीं ।।अच्छा लिखा है ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीया ठीक कहा आपने

      Delete
  4. वर्चुअल मध्यम कोई बुरा नहीं । कोरोना के वक्त ये एक बढ़िया माध्यम था । सार्थक आलेख ।

    ReplyDelete
  5. वर्चुअल कार्यक्रम, अपनी अपनी पसंद अपनी अपनी राय।
    मुझे तो शुरूआत से ही नापसंद रहा और अब तो चिड़ सी हो गई ।
    वैसे कोरोना काल का सिर था ज्यादा चलने वाला नहीं।
    खैर बहुत सटीक लेख।
    साधुवाद।

    ReplyDelete
    Replies
    1. विचारों से सहमति हेतु आभार आपका🙏🙏

      Delete

Featured Post

आज एक सामयिक नवगीत !

सुप्रभात आदरणीय मित्रो 🌹 🌹 🙏🙏 धीरे-धीरे सर्दी ने अपने तेवर दिखाने प्रारंभ कर दिए हैं। मौसम के अनुसार चिंतन ने उड़ान भरी तो एक नवगीत का स...