कुंडलिया---ओंकार सिंह विवेक
सर्वाधिकार सुरक्षित
🌷
जिसकी बनती हो बने, सूबे में सरकार,
हर दल में हैं एक-दो, उनके रिश्तेदार।
उनके रिश्तेदार, रोब है सचमुच भारी,
सब साधन हैं पास,नहीं कोई लाचारी।
अब उनकी दिन-रात,सभी से गाढ़ी छनती,
बन जाए सरकार,यहाँ हो जिसकी बनती।
🌷 --ओंकार सिंह विवेक
सर्वाधिकार सुरक्षित
अतीव सामयिक व सटीक पंक्तिया, साधुवाद ।
ReplyDeleteअतिशय आभार आपका 🙏🙏🌹🌹
Delete