January 23, 2022

फ़िक्र फूली-फली नहीं होती----तो

ग़ज़ल--ओंकार सिंह विवेक
©️
फ़िक्र   फूली-फली    नहीं  होती,
तो    हसीं   शायरी   नहीं  होती।

ख़ास लोगों से ही है दिल मिलता,
सबसे   तो   दोस्ती   नहीं  होती।

हौसला   हो   अगर   बुलंदी  पर,
कोई  मुश्किल  बड़ी  नहीं  होती।
©️
तर्क   मज़बूत   उसके   हैं  इतने,   
हमसे कुछ  काट  ही  नहीं  होती।

चंद  लोगों   के  साफ़   मन  होते,
तो   यूँ   बस्ती  जली  नहीं  होती।

सब जतन  कर लिए,मगर उनकी,
दूर     नाराज़गी     नहीं     होती।

हद तो  यह है कि बात अब उनसे,
ख़्वाब तक  में  कभी  नहीं  होती।
      ---©️ओंकार सिंह विवेक

7 comments:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (24-01-2022 ) को 'वरना सारे तर्क और सारे फ़लसफ़े धरे रह जाएँगे' (चर्चा अंक 4320 ) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी यादव जी,हार्दिक आभार।

      Delete
  2. बहुत ही बेहतरीन खूबसूरत सृजन आदरणीय सर

    ReplyDelete
  3. Jude hmare sath apni kavita ko online profile bnake logo ke beech share kre
    Pub Dials aur agr aap book publish krana chahte hai aaj hi hmare publishing consultant se baat krein Online Book Publishers

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