फ़ाइलातुन मुफाइलुन फ़ेलुन/फ़इलुन
ग़ज़ल-- ©️ओंकार सिंह विवेक
©️
माँ का आशीष फल गया होगा,
गिर के बेटा सँभल गया होगा।
ख़्वाब में भी न था गुमां मुझको,
दोस्त इतना बदल गया होगा।
छत से दीदार कर लिया जाए,
चाँद कब का निकल गया होगा।
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सच बताऊँ तो जीत से मेरी,
कुछ का तो दिल ही जल गया होगा।
आईना जो दिखा दिया मैंने,
बस यही उसको खल गया होगा।
जीतकर सबका एतबार 'विवेक',
चाल कोई वो चल गया होगा।
-- ©️ओंकार सिंह विवेक
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 05 दिसंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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हार्दिक आभार यादव जी
Deleteहार्दिक आभार🙏🙏
ReplyDeleteसुंदर शानदार गजल ।
ReplyDeleteअतिशय आभार आपका
Deleteबहुत ही उम्दा आदरणीय सर
ReplyDeleteमनीषा जी हार्दिक आभार
Deleteबहुत खूबसूरत ग़ज़ल ।
ReplyDeleteआदरणीया हार्दिक आभार
Deleteबहुत ही सार्थक भाव लिए उम्दा ग़ज़ल।
ReplyDeleteसादर।
हार्दिक आभार
Deleteसार्थक भाव लिए उम्दा ग़ज़ल।
ReplyDeleteअतिशय आभार🙏
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