December 1, 2021

आज कुछ दोहे यों भी

साथियो नमस्कार🙏🙏
आज काफ़ी दिन बाद किसी आवश्यक कार्य से  रामपुर-उ0प्र0 से गुरुग्राम-हरियाणा जाते समय कुछ दोहे सृजित हुए जो आपके साथ साझा करने का मन हुआ--
🌷कुछ दोहे🌷
                    ----©️  ओंकार सिंह विवेक
     🌹
      मँहगाई   को   देख  कर , जेबें  हुईं  उदास,
      पर्वों का  जाता  रहा, अब  सारा  उल्लास।
     🌹
     कोई सुनता  ही  नहीं , उसकी  यहाँ  पुकार,
     चीख-चीख कर रात-दिन, मौन गया है हार।
    🌹
     हाँ यह सच है इन दिनों ,बिगड़ी  है हर बात,
     लेकिन बहुरेंगे  कभी , अपने भी  दिन-रात।
    🌹
     मिली  कँगूरों को  सखे,तभी बड़ी पहिचान,
     दिया नीव  की ईंट ने,जब अपना बलिदान।
    🌹
               ---- ©️ ओंकार सिंह विवेक

2 comments:

  1. बेहतरीन दोहे! वाह वाह!💐💐

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    1. शुक्रिया माहिर साहब

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