December 19, 2021

एक नवगीत सामाजिक विसंगतियों और विरोधाभासों के नाम

आज एक नवगीत सामाजिक विरोधाभासों
 और विसंगतियों के नाम
 *******************************
 ---  ©️ओंकार सिंह विवेक
सच की फौजों पर अब,  
झूठों का दल भारी है।              

सड़क  गाँव  तक  आकर,
नागिन-सी फुँफकार भरे।
पगडंडी बेचारी,
थर-थर  काँपे और डरे।
नवयुग में  विकास  की,
यह अच्छी तैयारी है।

जनता को तो देता,
केवल वादों की गोली।
और हरे नोटों से,
भरता नित अपनी झोली।
जनसेवक है या फिर,
वह कोई  व्यापारी है?

रहा तगादे* वाली,
चाबुक से वह डरा-डरा।
ख़ुद भूखा भी सोया,
पर क़िस्तों का पेट भरा।
होरी पर बनिए की,
फिर भी शेष उधारी है।
  -----©️ओंकार सिंह विवेक

*मूल शुद्ध शब्द तक़ाज़ा है 
परंतु हिंदी में तगादा भी मान्य है
चित्र--गूगल से साभार
चित्र-गूगल से साभार




4 comments:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (20-12-2021 ) को 'चार दिन की जिन्दगी, बाकी अंधेरी रात है' (चर्चा अंक 4284) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:30 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

    ReplyDelete
  2. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (20-12-2021 ) को 'चार दिन की जिन्दगी, बाकी अंधेरी रात है' (चर्चा अंक 4284) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:30 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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    Replies
    1. बेहद शुक्रिया यादव जी

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