आज़ादी का अमृत महोत्सव : दो मुक्तक
---©️ ओंकार सिंह विवेक
शान तिरंगा है , हम सबकी जान तिरंगा है,
वीर शहीदों की गाथा का गान तिरंगा है।
गर्व न हो क्यों हमको इस पर आख़िर बतलाओ,
सारे जग में भारत की पहचान तिरंगा है।
---©️ ओंकार सिंह विवेक
दुश्मन की सेना के आगे सीना अपना तान रखा,
हर पल अधरों पर आज़ादी वाला पावन गान रखा।
शत-शत वंदन करते हैं हम श्रद्धा से उन वीरों का,
देकर जान जिन्होनें भारत माँ का गौरव-मान रखा।
चित्र-गूगल से साभार
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (01 -11-2021 ) को 'कभी तो लगेगी लाटरी तेरी भी' ( चर्चा अंक 4234 ) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
हार्दिक आभार यादव जी
Deleteवाह ! बहुत सुंदर भाव।हमारा शान तिरंगा है।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteजयहिंद
ReplyDeleteआभार आदरणीया
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