दोहे--शुभ दीपावली : धनवर्षा : अमृत वर्षा
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-- ©️ ओंकार सिंह विवेक
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हो जाए हर गेह में , लक्ष्मी जी का वास।
कहलाए इस बार की, धनतेरस कुछ ख़ास।।
खील-बताशे-फुलझड़ी , दीपों सजी क़तार।
मिलती इनको देखकर,मन को ख़ुशी अपार।।
दीवाली के दीप हों , या होली के रंग।
इनका आकर्षण तभी ,जब हों प्रियतम संग।।
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हो जाये संसार में , निर्धन भी धनवान।
लक्ष्मी माता दीजिए , कुछ ऐसा वरदान।।
हो जाये संसार में , अँधियारे की हार।
कर दे यह दीपावली, उजियारा हर द्वार।।
निर्धन को देें वस्त्र-धन , खील और मिष्ठान।
उसके मुख पर भी सजे , दीपों सी मुस्कान।। -
©️ ----ओंकार सिंह विवेक
चित्र--गूगल से साभार
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