October 15, 2021

फ़िक्र के पंछियों को उड़ाया बहुत

ग़ज़ल-- ©️ओंकार सिंह विवेक
मोबाइल 9897214710
©️
फ़िक्र  के  पंछियों   को   उड़ाया  बहुत,
उसने  अपने सुख़न को सजाया बहुत।

हौसले   में   न   आई   ज़रा   भी  कमी,
मुश्किलों   ने   हमें   आज़माया   बहुत।

उसने रिश्तों का रक्खा नहीं कुछ भरम,
हमने अपनी  तरफ़  से  निभाया बहुत।
©️
लौ  दिये   ने  मुसलसल   सँभाले  रखी,
आँधियों   ने   अगरचे    डराया   बहुत।

हुस्न   कैसे   निखरता   नहीं   रात  का,
चाँद- तारों   ने  उसको  सजाया  बहुत।

मिट   गई   तीरगी  सारी  तनहाई   की,
उनकी यादों  से दिल जगमगाया बहुत।
                --- ©️ओंकार सिंह विवेक



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