प्रेरणा
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----ओंकार सिंह विवेक
शुभ प्रभात मित्रो,🙏💥🙏
प्रेरणा---यह छोटा सा शब्द अपने आप में एक बहुत बड़ी सकारात्मक ऊर्जा समेटे हुए है।आशावादी सोच के साथ घटनाओं से सृजनात्मक प्रेरणा ग्रहण करने की प्रवृत्ति ही व्यक्ति को सफलता के शिखर तक पहुँचाती है।जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा व्यक्ति प्रकृति में विद्यमान किसी भी जड़ अथवा चेतन से ग्रहण कर सकता है।कल -कल करके बहती नदी से जीवन में निरन्तर आगे बढ़ने की प्रेरणा ली जा सकती है।उपवन में काँटों के बीच खिलते फूलों से कठिनाइयों में भी मुस्कराते रहने की सीख ली जा सकती है।पेड़ गर्मी,बरसात और जाड़े सहकर भी हमें निरंतर छाया और फल देते रहते हैं।उनके इस आचरण से हम परोपकार का गुण ग्रहण कर सकते हैं।प्रकृति में घटित होने वाली दिन और रात की घटनाएँ भी हमें एक बड़ा संदेश और प्रेरणा देती हैं।प्रकृति ने जिस प्रकार रात के बाद दिन का उदय होना निश्चित किया है उसी प्रकार व्यक्ति के जीवन में दुखों के बाद सुख का आगमन भी निश्चित है।अतः यह दिन और रात का क्रम भी निश्चित ही मानव के लिए एक नई प्रेरणा और संदेश है।जीवन में मिलने वाली तमाम असफलताएँ भी हमें एक प्रेरणा ,संदेश ओर नई सोच देकर जाती हैं।असफलता से हम यह सीख सकते हैं कि कहाँ हमारे प्रयासों में कमी रही जिस कारण हम सफलता पाने से वंचित रहे। इस पर चिंतन करके हम फिर से नई ऊर्जा और उत्साह के साथ मंज़िल की ओर बढ़ सकते हैं।झरनों का पहाडों से नीचे गिरना,रेगिस्तान में दूर तक रेत का होना ,जंगल में जानवरों का दौड़ते फिरना और पक्षियों का उड़ना कुछ न कुछ प्रेरणा और संदेश देता है बस ज़रूरत है स्वस्थ्य नज़रिए औए सोच से इन चीजों को देखने और समझने की और इनसे प्रेरणा लेकर अपने जीवन को सुंदर बनाने की।
तो आइए प्रकृति में होने वाले हर घटनाक्रम और प्रसंग से हम कुछ प्रेरणा लेकर अपनी सोच को सकारात्मक बनाएँ और जीवन में आगे बढ़ने का प्रण करें।
प्रसंगवश मुझे अपनी अलग -अलग ग़ज़लों के कुछ शेर याद आ रहे हैं--
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ग़म की पैहम बारिशों में मुस्कुराना चाहिए,
मुश्किलों को अज़्म की क़ूवत दिखाना चाहिए।
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रख ज़रा नाकामियों में हौसला,
रौशनी फूटेगी इस अँधियार से।
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जीवन में ग़म आने पर जो घबरा जाते हैं,
उनको हासिल ख़ुशियों की सौग़ात नहीं होती।
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जिस दिन से तुम मंज़िल को पाने की ठानोगे,
उस दिन से रस्ते हरगिज़ दुश्वार नहीं रहने।
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आज फ़िलहाल इतना ही-----
कल फिर कुछ और ऐसी ही सार्थक चर्चा करते हैं।
****** ओंकार सिंह विवेक
Bhai bahut achchha likha hai,badhai
ReplyDeleteप्रोत्साहन हेतु आपका हार्दिक आभार
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