September 17, 2020

अच्छा आदमी

अच्छा आदमी
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--------ओंकार सिंह विवेक( सर्वाधिकार सुरक्षित)
अच्छे आदमी की जब हम बात करते हैं तो स्वाभाविक रूप से सोचने पर यही माना जाता है कि जो व्यक्ति वास्तव में अच्छा है उसे ही सब लोग अच्छा आदमी कहेंगे। परंतु सच में ऐसा नहीं होता।आज  हम कई दृष्टि से इसकी पड़ताल करेंगे। समाज में अच्छे आदमी की कोई सार्वभौमिक परिभाषा नज़र नहीं आती।अच्छे आदमी को लेकर आज समाज में हर व्यक्ति ने अपने अलग मानदंड और मानक निर्धारित कर रखे हैं।
किसी व्यक्ति को दूसरा व्यक्ति तभी अच्छा कहता है जब वह उसकी हर अच्छी बुरी बात से सहमति जताए और उसका सम्मान करे ।अपनी प्रतिभा या ज्ञान का उसके सामने प्रदर्शन न करे।किसी बात पर आवश्यक होने पर भी तर्क वितर्क न करे अर्थात सदैव यस  मैन की भूमिका में रहे। आदमी इतना स्वार्थी और अहंकारी हो गया है कि वह किसी को भी अपने सामने प्रतिस्पर्धा में देखना नहीं चाहता,जो उससे तर्क करे या उसके ग़लत कामों पर ऊँगली उठाए वह अच्छा आदमी नहीं है।यदि कोई विरला ऐसे आदमी को अच्छा आदमी स्वीकारने की बात करता भी है तो बहुत किंतु ,परंतु के बाद ही।आदमी दूसरों के साथ जैसा नहीं करता वह दूसरों से अपने लिए वैसा करने की अपेक्षा रखता है।मसलन दूसरे को कभी सम्मान की दृष्टि से नहीं देखता और न ही सम्मान से सलाम, नमस्ते करता है परंतु चाहता है  कि दूसरे उसका सम्मान करें और उसके सामने सर भी झुकाएँ और सदैव विनम्र बने रहें।अपने इन्हीं पूर्वाग्रहों के जाल में रहकर वह अच्छे और बुरे आदमी की परिभाषा गढ़ता है।मैं समाज के सभी लोगों को इस श्रेणी में नहीं रखता पर अधिकाँश पर यही बात लागू होती है।
सोचकर देखिए क्या हमारे द्वारा गढ़ी गई अच्छे आदमी की यह एक पक्षीय परिभाषा उचित है? शायद नहीं।
पर अच्छे आदमी को इन सब बातों से कोई फ़र्क नहीं पड़ता।वह अच्छा आदमी है तो है।वह तो हमेशा सही को सही और ग़लत को ग़लत कहता रहेगा और बिना कोई भेद किए हर व्यक्ति से अपेक्षित व्यवहार करता रहेगा चाहे समाज में रहकर उसे अपने निष्कपट और साफ़गोई से भरे व्यवहार के लिए कुछ भी क़ीमत चुकानी पड़े।
             ----------ओंकार सिंह विवेक
( कल फिर इसी तरह की किसी चर्चा के लिए आपका ब्लॉग पर इंतज़ार रहेगा,नमस्कार!!!!🙏🙏 )

5 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१९-०९-२०२०) को 'अच्छा आदम' (चर्चा अंक-३८२९) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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  2. सभी आत्मश्लाघि हुए जा रहे हैं

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