दोहे
अलग बनाने के लिए , औरों से पहचान।
कथनी करनी कीजिए, अपनी एक समान।।
यह जीवन भगवान का, है सुन्दर उपहार।
अरे गँवाता क्यों इसे, मानव तू बेकार।।
सोचेगा संसार क्या, मत करिए परवाह।
लेकर ख़ुद ही फ़ैसले , चुनिए अपनी राह।।
मन को भी संतोष हो, रहे सुखद परिणाम।
पूरी क्षमता से अगर, करें सतत हम काम।।
---------ओंकार सिंह विवेक
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
अलग बनाने के लिए , औरों से पहचान।
कथनी करनी कीजिए, अपनी एक समान।।
यह जीवन भगवान का, है सुन्दर उपहार।
अरे गँवाता क्यों इसे, मानव तू बेकार।।
सोचेगा संसार क्या, मत करिए परवाह।
लेकर ख़ुद ही फ़ैसले , चुनिए अपनी राह।।
मन को भी संतोष हो, रहे सुखद परिणाम।
पूरी क्षमता से अगर, करें सतत हम काम।।
---------ओंकार सिंह विवेक
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
चित्र:गूगल से साभार
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