July 4, 2019

दोहे: जल संकट की बात

जल  संसाधन  घट   रहे, संकट है विकराल,
हल कुछ इसका खोजिये,है यह बड़ा सवाल।

झूठ नहीं इनमें तनिक, सच्चे  हैं  यह   बोल,
बूँद-बूँद  में    ज़िन्दगी, पानी   है   अनमोल।

मोदी  जी  ने बोल दी, अपने  मन  की  बात,
जल  संरक्षण  के लिये, एक  करें  दिन-रात।

क़ुदरत ने जो  जल  दिया,  है  पारस का रूप,
घिर आयी इस पर  मगर, अब संकट की धूप।

पेड़ों   का  हर  रोज़  ही, अंधाधुंध    कटान,
जल  संकट का इक बड़ा,कारण है श्रीमान।

रखना  है भू  पर अगर, अपना  जीवन शाद,
पानी को मत कीजिये,  हरगिज़ भी  बरबाद।

वर्षा  जल  का  संचयन,  वाटर शेड  विकास
करें अगर मिलकर सभी, तो जागे कुछ आस।

खपत अधिक जल की सदा,जिन फसलों में होय,
कह  दो अभी  किसान  से, उनको कम  ही बोय।

झीलें - पोखर  - बावड़ी,  सबका  करें   विकास,
पूरी   हो   पाये   तभी,    जल  संचय  की आस।

बोरिंग  के  उपयोग पर,    नीति    बने     गंभीर,
नहीं   मिलेगा  अन्यथा,     गहरे  मे   भी   नीर  ।

चेरापूँजी   में   बहुत ,        है  वर्षा    का   नीर  ,
उसके  भी  उपयोग को,   हो   शासन   गंभीर  ।
(सर्वाधिकार सुरक्षित) ओंकार सिंह विवेक




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