आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर कुछ विषयगत दोहे प्रस्तुत हैं-
तन मन दोनों स्वस्थ हों,दूर रहें सब रोग,
आओ इसके वासते, करें साथियो योग।
जब से शामिल कर लिया ,दिन चर्या में योग,
मुझसे घबराने लगे,सभी तरह के रोग।
औषधियों से तो हुआ,सिर्फ क्षणिक उपचार,
मिटा दिये पर योग ने,जड़ से रोग विकार।
घोर निराशा,क्रोध,भय,उलझन और तनाव,
योग शक्ति से हो गये, ग़ायब सभी दबाव।
योग साधना से मिटे, मन के सब अवसाद,
जीवन मेरा हो गया,ख़ुशियों से आबाद।
रामकिशन,गुरमीत सिंह, या जोज़फ़, रहमान,
सजी योग से सभी के,चेहरों पर मुसकान।
एक दिवस नहिं योग का,प्रतिदिन हो अभ्यास,
सबके जीवन में तभी,आयेगा उल्लास।
------ओंकार सिंह विवेक (सर्वाधिकार सुरक्षित)
तन मन दोनों स्वस्थ हों,दूर रहें सब रोग,
आओ इसके वासते, करें साथियो योग।
जब से शामिल कर लिया ,दिन चर्या में योग,
मुझसे घबराने लगे,सभी तरह के रोग।
औषधियों से तो हुआ,सिर्फ क्षणिक उपचार,
मिटा दिये पर योग ने,जड़ से रोग विकार।
घोर निराशा,क्रोध,भय,उलझन और तनाव,
योग शक्ति से हो गये, ग़ायब सभी दबाव।
योग साधना से मिटे, मन के सब अवसाद,
जीवन मेरा हो गया,ख़ुशियों से आबाद।
रामकिशन,गुरमीत सिंह, या जोज़फ़, रहमान,
सजी योग से सभी के,चेहरों पर मुसकान।
एक दिवस नहिं योग का,प्रतिदिन हो अभ्यास,
सबके जीवन में तभी,आयेगा उल्लास।
------ओंकार सिंह विवेक (सर्वाधिकार सुरक्षित)
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