June 30, 2019

ज़िन्दगी से

ग़ज़ल-ओंकार सिंह'विवेक'
शिकायत कुछ नहीं है ज़िन्दगी  से,
मिला जितना मुझे हूँ ख़ुश उसी  से।

ज़रूरत  और   मजबूरी  जहाँ    मैं,
करा  लेती हैं सब  कुछ आदमी से।

रखें  उजला  सदा किरदार  अपना,
सबक़  लेंगे  ये  बच्चे आप  ही से।

न छोड़ेगा जो उम्मीदों का दामन,
वो होगा आशना इक दिन ख़ुशी से।

उसे  अफ़सोस  है अपने  किये  पर,
पता  चलता है आँखों की नमी  से।
-ओंकार सिंह 'विवेक'(सर्वाधिकार सुरक्षित)

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