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May 3, 2020
May 1, 2020
April 30, 2020
खोज अभी बाक़ी है
खोज अभी बाक़ी है
कल ही की तो बात है जब भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री के एक बोलती आँखों वाले नेचुरल एक्टर इरफ़ान ख़ान की न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर(एक प्रकार का दुर्लभ कैंसर जो एक लाख लोगों में से किसी एक को होता है)नामक बीमारी से असामयिक मृत्यु की ख़बर ने सबके दिल को गहरा सदमा पहुँचाया था।अभी लोग इस सदमे से उबरे भी न थे कि आज फिर अलसुब्ह वैसी ही दिल को बैठाने वाली ख़बर आई कि फ़िल्म इंडस्ट्री के एक और बेहतरीन एक्टर ऋषि कपूर की ल्यूकेमिया(एक प्रकार का कैंसर) से मौत हो गई।इस ख़बर से फिर वही रंज और ग़म का आलम हो गया।
यद्यपि कैंसर जैसी असाध्य बीमारी से लोगों के मरने की यह कोई नई घटनाएं नहीं हैं परन्तु ये या ऐसी और अनेक बातें मनुष्य के अस्तित्व, प्रकृति की शक्ति और उसके रहस्यों से जुड़े तमाम विषयों पर बार बार बात करने के रास्ते खोलती हैं।
मनुष्य ने विज्ञान के बल पर प्रकृति के तमाम रहस्यों को खोल कर रखा है।तमाम बीमारियों पर विजय पा ली है।दुनिया में पहले की तुलना में मृत्यु दर बहुत कम रह गई है।बहुत सी प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान लगाने में भी आदमी सक्षम हुआ है।ज़मीन के तमाम रहस्य उजागर करने के साथ ही आज आदमी आसमान में चाँद तक पहुँच गया है और उससे भी आगे की यात्रा जारी हैं।तमाम ऐसी बीमारियाँ जिन्हें दैवीय प्रकोप मान लिया जाता था,चिकित्सा विज्ञान ने उनका इलाज खोजकर आदमी को मौत के मुँह से बचा लिया है।ग़रज़ यह कि आदमी निरंतर प्रकृति के रहस्यों पर से पर्दा उठाता जा रहा है और मनुष्य की शारीरिक संरचना को लेकर भी रोज़ नवीन शोध प्रस्तुत कर रहा है।परन्तु अभी भी प्रकृति में बहुत कुछ अनसुलझे रहस्य हैं जिन तक विज्ञान को पहुँचना है। मनुष्य के शरीर और उस पर बाह्य वातावरण और परिवेश का प्रभाव और उनके साथ अनुकूलन जैसे अभी बहुत से अति आवश्यक विषयों पर विज्ञान की ठोस उपलब्धियाँ दरकार हैं।कैंसर जैसी बीमारी को ही ले लीजिए चिकिसा विज्ञान इसे किसी हद तक नियंत्रित ज़रूर कर पाया है परन्तु पूरी तरह उन्मूलन नहीं कर पाया है।इस प्रकार की बीमारियाँ लोगों में बार बार पनप रही हैं और अंततः मृत्यु का कारण बन रही हैं।अभी विज्ञान/चिकित्सा विज्ञानको इस दिशा में बहुत दूर तक जाना है।अगर इन बीमारियों का कोई मुकम्मल इलाज चिकित्सा विज्ञान द्वारा खोज लिया गया होता तो फिर चाहे वह कितना भी महँगा क्यों न होता कम से कम अमीर आदमी तो इन बीमारियों से कभी न मरते।आज 'कोरोना' जैसी घातक बीमारी पूरे विश्व में अनगिनत लोगों की मृत्यु का कारण बनी हुई है।चिकित्सा विज्ञान के पास फ़िलहाल इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है।जब तक इस बीमारी की कोई दवा खोजी जाएगी न जाने कितने लोग अपनी जानें गंवा चुके होंगे।
यह क्रम आदि काल से चल रहा है और आगे भी सृष्टि का यह चक्र यूँ ही चलता रहेगा।इस तरह की घटनाएं मनुष्य में दो तरह के विचारों और भावों को बार बार प्रबल करती हैं। पहले तो यह की मनुष्य विज्ञान के प्रति और सजग होकर अपने अनुसंधान और अन्वेषण को गति देता है और दूसरे यह की परिस्थितियों के आगे असहाय हो कर व्यक्ति किसी अज्ञात शक्ति के प्रति आस्थावान होने लगता है।उस अज्ञात शक्ति के अस्तित्व को लेकर विज्ञान और आस्था में हमेशा बहस चलती रही है और चलती रहेगी रहेगी।
------ओंकार सिंह विवेक
कल ही की तो बात है जब भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री के एक बोलती आँखों वाले नेचुरल एक्टर इरफ़ान ख़ान की न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर(एक प्रकार का दुर्लभ कैंसर जो एक लाख लोगों में से किसी एक को होता है)नामक बीमारी से असामयिक मृत्यु की ख़बर ने सबके दिल को गहरा सदमा पहुँचाया था।अभी लोग इस सदमे से उबरे भी न थे कि आज फिर अलसुब्ह वैसी ही दिल को बैठाने वाली ख़बर आई कि फ़िल्म इंडस्ट्री के एक और बेहतरीन एक्टर ऋषि कपूर की ल्यूकेमिया(एक प्रकार का कैंसर) से मौत हो गई।इस ख़बर से फिर वही रंज और ग़म का आलम हो गया।
यद्यपि कैंसर जैसी असाध्य बीमारी से लोगों के मरने की यह कोई नई घटनाएं नहीं हैं परन्तु ये या ऐसी और अनेक बातें मनुष्य के अस्तित्व, प्रकृति की शक्ति और उसके रहस्यों से जुड़े तमाम विषयों पर बार बार बात करने के रास्ते खोलती हैं।
मनुष्य ने विज्ञान के बल पर प्रकृति के तमाम रहस्यों को खोल कर रखा है।तमाम बीमारियों पर विजय पा ली है।दुनिया में पहले की तुलना में मृत्यु दर बहुत कम रह गई है।बहुत सी प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान लगाने में भी आदमी सक्षम हुआ है।ज़मीन के तमाम रहस्य उजागर करने के साथ ही आज आदमी आसमान में चाँद तक पहुँच गया है और उससे भी आगे की यात्रा जारी हैं।तमाम ऐसी बीमारियाँ जिन्हें दैवीय प्रकोप मान लिया जाता था,चिकित्सा विज्ञान ने उनका इलाज खोजकर आदमी को मौत के मुँह से बचा लिया है।ग़रज़ यह कि आदमी निरंतर प्रकृति के रहस्यों पर से पर्दा उठाता जा रहा है और मनुष्य की शारीरिक संरचना को लेकर भी रोज़ नवीन शोध प्रस्तुत कर रहा है।परन्तु अभी भी प्रकृति में बहुत कुछ अनसुलझे रहस्य हैं जिन तक विज्ञान को पहुँचना है। मनुष्य के शरीर और उस पर बाह्य वातावरण और परिवेश का प्रभाव और उनके साथ अनुकूलन जैसे अभी बहुत से अति आवश्यक विषयों पर विज्ञान की ठोस उपलब्धियाँ दरकार हैं।कैंसर जैसी बीमारी को ही ले लीजिए चिकिसा विज्ञान इसे किसी हद तक नियंत्रित ज़रूर कर पाया है परन्तु पूरी तरह उन्मूलन नहीं कर पाया है।इस प्रकार की बीमारियाँ लोगों में बार बार पनप रही हैं और अंततः मृत्यु का कारण बन रही हैं।अभी विज्ञान/चिकित्सा विज्ञानको इस दिशा में बहुत दूर तक जाना है।अगर इन बीमारियों का कोई मुकम्मल इलाज चिकित्सा विज्ञान द्वारा खोज लिया गया होता तो फिर चाहे वह कितना भी महँगा क्यों न होता कम से कम अमीर आदमी तो इन बीमारियों से कभी न मरते।आज 'कोरोना' जैसी घातक बीमारी पूरे विश्व में अनगिनत लोगों की मृत्यु का कारण बनी हुई है।चिकित्सा विज्ञान के पास फ़िलहाल इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है।जब तक इस बीमारी की कोई दवा खोजी जाएगी न जाने कितने लोग अपनी जानें गंवा चुके होंगे।
यह क्रम आदि काल से चल रहा है और आगे भी सृष्टि का यह चक्र यूँ ही चलता रहेगा।इस तरह की घटनाएं मनुष्य में दो तरह के विचारों और भावों को बार बार प्रबल करती हैं। पहले तो यह की मनुष्य विज्ञान के प्रति और सजग होकर अपने अनुसंधान और अन्वेषण को गति देता है और दूसरे यह की परिस्थितियों के आगे असहाय हो कर व्यक्ति किसी अज्ञात शक्ति के प्रति आस्थावान होने लगता है।उस अज्ञात शक्ति के अस्तित्व को लेकर विज्ञान और आस्था में हमेशा बहस चलती रही है और चलती रहेगी रहेगी।
------ओंकार सिंह विवेक
April 29, 2020
इरफ़ान ख़ान
💐इरफ़ान ख़ान-विनम्र श्रद्धांजलि💐
Born Actor इरफ़ान ख़ान की असामयिक मृत्यु पर ह्रदय बहुत व्यथित है।इरफ़ान ख़ान एक ऐसे कलाकार थे जिन्होंने एक छोटी सी जगह से आकर एक्टिंग में रुचि के कारण एन एस डी से पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने बूते पर मुम्बई जैसी मायानगरी में जाकर अपनी जगह बनाई।उनके पास किसी फिल्मी घराने से जुड़े होने का कोई प्रमाणपत्र या तमग़ा नहीं था। अपने आप को वहां प्रूव करने के लिए अगर उनके पास कुछ था तो बस एक साधरण क़द काठी और रोम रोम में बसी नेचुरल एक्टिंग की ख़ुदादाद सलाहियत।राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म इंडस्ट्री में इरफ़ान की मक़बूलियत इस बात का जीता जागता सुबूत है कि अगर आप में प्रतिभा है तो कामयाबी आपके क़दम एक दिन ज़रूर चूमेगी।इरफ़ान ख़ान नई नस्ल के उन तमाम लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं जो बहुत कमज़ोर बैकग्राउंड से आते हैं और अपनी प्रतिभा के दम पर किसी फील्ड में ज़ोर आज़माइश करना चाहते हैं।
आप इरफान ख़ान की किसी भी फ़िल्म को देख लीजिए लगता ही नहीं कि उन्होंने एक्टिंग के लिए अलग से कोई तैयारी की हो।वह बिल्कुल नेचुरल एक्टिंग करते और किरदार के साथ रचे बसे नज़र आते हैं।मैंने कभी भी किसी भी फ़िल्म में उनकी एक्टिंग में रत्ती भर बनावट नहीं देखी।जबकि कई बड़े बड़े कलाकारों को भी मैंने बाज़ मौक़ों पर ओवरएक्टिंग का शिकार होते देखा है।
इरफ़ान का कैंसर जैसी घातक बीमारी से जूझते हुए अभी चंद दिन पहले तक भी फ़िल्म की शूटिंग करते रहना उनके जीवट को दर्शाता है।आज प्रसंगवश मुझे अपनी ही ग़ज़ल का एक शेर याद आता है-
सदा बढ़ते रहे मंज़िल की धुन में,
न जाना पाँव ने कैसी थकन है।
-----विवेक
इरफ़ान ख़ान जैसे बेहतरीन कलाकार का असमय चले जाना हिंदुस्तानी फ़िल्म इंडस्ट्री को ही नहीं वरन पूरी दुनिया के कला जगत को एक भारी क्षति है।पर क़ुदरत के सामने हम सब लाचार हैं।एक न एक दिन सब को ही यह दिन देखना है।
ज़िंदगी दाइमी नहीं प्यारे,
एक दिन मौत सबको आना है।
--- विवेक
अंत में इरफान खान की यादों को शत शत नमन करते हुए मैं उन्हें ख़िराजे अकीदत पेश करते हुए अपनी बात समाप्त करता हूँ।
------ओंकार सिंह विवेक
#RestInPeace💐💐💐
चित्र:गूगल से साभार
Born Actor इरफ़ान ख़ान की असामयिक मृत्यु पर ह्रदय बहुत व्यथित है।इरफ़ान ख़ान एक ऐसे कलाकार थे जिन्होंने एक छोटी सी जगह से आकर एक्टिंग में रुचि के कारण एन एस डी से पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने बूते पर मुम्बई जैसी मायानगरी में जाकर अपनी जगह बनाई।उनके पास किसी फिल्मी घराने से जुड़े होने का कोई प्रमाणपत्र या तमग़ा नहीं था। अपने आप को वहां प्रूव करने के लिए अगर उनके पास कुछ था तो बस एक साधरण क़द काठी और रोम रोम में बसी नेचुरल एक्टिंग की ख़ुदादाद सलाहियत।राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म इंडस्ट्री में इरफ़ान की मक़बूलियत इस बात का जीता जागता सुबूत है कि अगर आप में प्रतिभा है तो कामयाबी आपके क़दम एक दिन ज़रूर चूमेगी।इरफ़ान ख़ान नई नस्ल के उन तमाम लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं जो बहुत कमज़ोर बैकग्राउंड से आते हैं और अपनी प्रतिभा के दम पर किसी फील्ड में ज़ोर आज़माइश करना चाहते हैं।
आप इरफान ख़ान की किसी भी फ़िल्म को देख लीजिए लगता ही नहीं कि उन्होंने एक्टिंग के लिए अलग से कोई तैयारी की हो।वह बिल्कुल नेचुरल एक्टिंग करते और किरदार के साथ रचे बसे नज़र आते हैं।मैंने कभी भी किसी भी फ़िल्म में उनकी एक्टिंग में रत्ती भर बनावट नहीं देखी।जबकि कई बड़े बड़े कलाकारों को भी मैंने बाज़ मौक़ों पर ओवरएक्टिंग का शिकार होते देखा है।
इरफ़ान का कैंसर जैसी घातक बीमारी से जूझते हुए अभी चंद दिन पहले तक भी फ़िल्म की शूटिंग करते रहना उनके जीवट को दर्शाता है।आज प्रसंगवश मुझे अपनी ही ग़ज़ल का एक शेर याद आता है-
सदा बढ़ते रहे मंज़िल की धुन में,
न जाना पाँव ने कैसी थकन है।
-----विवेक
इरफ़ान ख़ान जैसे बेहतरीन कलाकार का असमय चले जाना हिंदुस्तानी फ़िल्म इंडस्ट्री को ही नहीं वरन पूरी दुनिया के कला जगत को एक भारी क्षति है।पर क़ुदरत के सामने हम सब लाचार हैं।एक न एक दिन सब को ही यह दिन देखना है।
ज़िंदगी दाइमी नहीं प्यारे,
एक दिन मौत सबको आना है।
--- विवेक
अंत में इरफान खान की यादों को शत शत नमन करते हुए मैं उन्हें ख़िराजे अकीदत पेश करते हुए अपनी बात समाप्त करता हूँ।
------ओंकार सिंह विवेक
#RestInPeace💐💐💐
चित्र:गूगल से साभार
April 27, 2020
April 23, 2020
April 22, 2020
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April 20, 2020
April 19, 2020
April 18, 2020
April 17, 2020
April 16, 2020
April 13, 2020
कोरोना वारियर्स को सलाम
(सभी चित्र:गूगल से साभार)
कोरोना से उपजे सवाल:दोहे --ओंकार सिंह विवेक
दवा,चिकित्सा उपकरण,त्वरित उचित उपचार।
इन सब का हो देश में , अभी और विस्तार।।
इन सब का हो देश में , अभी और विस्तार।।
जीवन शैली शीघ्र ही , बदलें अपनी लोग।
ऐसा कुछ संदेश भी , देता है यह रोग।।
ऐसा कुछ संदेश भी , देता है यह रोग।।
इस संचारी रोग का , होगा बहुत प्रभाव।
देखेंगे हम विश्व में , सामाजिक बदलाव।।
देखेंगे हम विश्व में , सामाजिक बदलाव।।
आख़िर कुछ तो बात है , जो सारा संसार।
आज रहा है चीन को , बार बार धिक्कार।।
आज रहा है चीन को , बार बार धिक्कार।।
वाह!रे क्लोरोक्वीन
'कोरोना' ने विश्व का , बदला ऐसा सीन।
अमरीका भी माँगता , हम से 'क्लोरोक्वीन'।।
अमरीका भी माँगता , हम से 'क्लोरोक्वीन'।।
जीतेगा हिंदुस्तान
साहस रख संघर्ष को , रहते जो तैयार।
हर विपदा बाधा सदा , माने उनसे हार।।
हर विपदा बाधा सदा , माने उनसे हार।।
धैर्य और साहस रखें , बालक-वृद्ध-जवान।
जीतेगा इस जंग में , अपना हिन्दुस्तान।।
जीतेगा इस जंग में , अपना हिन्दुस्तान।।
'कोरोना' वारियर्स को सलाम
कठिन समय में कर रहे ,रात और दिन काम।
हे 'कोरोना' वारियर , तुमको नमन-प्रणाम।।
------///ओंकार सिंह विवेक
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
www.vivekoks.blogspot.com
------///ओंकार सिंह विवेक
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
www.vivekoks.blogspot.com
April 10, 2020
April 8, 2020
April 4, 2020
March 30, 2020
March 28, 2020
March 25, 2020
March 24, 2020
March 22, 2020
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March 15, 2020
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March 13, 2020
March 9, 2020
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बहुुुत कम लोग ऐसे होते हैैं जिनको अपनी रुचि के अनुुुसार जॉब मिलता है।अक्सर देेखने में आता है कि लोगो को अपनी रुचि से मेल न खाते...
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शुभ प्रभात मित्रो 🌹🌹🙏🙏 संगठन में ही शक्ति निहित होती है यह बात हम बाल्यकाल से ही एक नीति कथा के माध्यम से जानते-पढ़ते और सीखते आ रहे हैं...