April 30, 2020

खोज अभी बाक़ी है

खोज अभी बाक़ी है
कल ही की तो बात है जब भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री के एक बोलती आँखों वाले नेचुरल एक्टर इरफ़ान ख़ान की न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर(एक प्रकार का दुर्लभ कैंसर जो एक लाख लोगों में से किसी एक को होता है)नामक बीमारी से  असामयिक मृत्यु की ख़बर ने सबके  दिल को गहरा सदमा पहुँचाया था।अभी लोग इस सदमे से उबरे भी न थे कि आज फिर अलसुब्ह वैसी ही दिल को बैठाने वाली ख़बर आई कि फ़िल्म इंडस्ट्री के एक और बेहतरीन एक्टर ऋषि कपूर की ल्यूकेमिया(एक प्रकार का कैंसर)  से मौत हो गई।इस ख़बर से फिर वही  रंज और ग़म का आलम हो गया।

यद्यपि कैंसर जैसी असाध्य बीमारी से लोगों के मरने की यह कोई नई घटनाएं  नहीं हैं परन्तु ये  या ऐसी और अनेक बातें मनुष्य के अस्तित्व, प्रकृति की शक्ति और उसके रहस्यों  से जुड़े तमाम विषयों  पर  बार बार बात करने के रास्ते खोलती हैं।

मनुष्य ने विज्ञान के बल पर प्रकृति के तमाम रहस्यों  को खोल कर रखा है।तमाम बीमारियों पर विजय पा ली है।दुनिया में पहले की  तुलना में मृत्यु दर बहुत कम रह गई है।बहुत सी प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान लगाने में भी आदमी सक्षम हुआ है।ज़मीन के तमाम रहस्य उजागर करने के साथ ही आज आदमी आसमान में चाँद तक पहुँच गया है और उससे  भी आगे की यात्रा  जारी हैं।तमाम ऐसी बीमारियाँ जिन्हें दैवीय प्रकोप मान लिया जाता था,चिकित्सा विज्ञान ने  उनका इलाज खोजकर आदमी को मौत के मुँह से बचा लिया है।ग़रज़  यह कि आदमी निरंतर प्रकृति के रहस्यों पर से पर्दा उठाता जा रहा है और मनुष्य की शारीरिक संरचना को लेकर भी रोज़ नवीन शोध प्रस्तुत कर रहा है।परन्तु अभी भी  प्रकृति में बहुत कुछ अनसुलझे रहस्य हैं जिन तक विज्ञान को पहुँचना है। मनुष्य के शरीर और उस पर बाह्य वातावरण और परिवेश का प्रभाव और उनके साथ अनुकूलन जैसे अभी बहुत से अति आवश्यक विषयों पर विज्ञान की ठोस उपलब्धियाँ  दरकार हैं।कैंसर जैसी बीमारी को ही ले लीजिए चिकिसा विज्ञान इसे किसी हद तक नियंत्रित ज़रूर कर पाया है परन्तु पूरी तरह उन्मूलन नहीं कर पाया है।इस प्रकार की  बीमारियाँ लोगों में बार बार  पनप  रही हैं और अंततः मृत्यु का कारण बन रही हैं।अभी विज्ञान/चिकित्सा विज्ञानको  इस दिशा में बहुत दूर तक जाना है।अगर इन बीमारियों का कोई मुकम्मल  इलाज चिकित्सा विज्ञान द्वारा खोज लिया गया होता तो फिर चाहे वह कितना भी महँगा क्यों न होता कम से कम अमीर आदमी तो इन बीमारियों से कभी न मरते।आज 'कोरोना' जैसी घातक बीमारी पूरे विश्व में अनगिनत लोगों की मृत्यु का कारण बनी हुई  है।चिकित्सा विज्ञान के पास फ़िलहाल इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है।जब तक इस बीमारी की कोई दवा खोजी जाएगी न जाने कितने लोग अपनी जानें गंवा चुके होंगे।

यह क्रम आदि काल से चल रहा है और आगे भी सृष्टि का यह चक्र यूँ ही चलता रहेगा।इस तरह की घटनाएं मनुष्य  में दो तरह के विचारों और भावों को बार बार प्रबल करती हैं। पहले तो यह की मनुष्य विज्ञान के प्रति और सजग होकर अपने अनुसंधान और अन्वेषण को गति देता है और दूसरे यह की परिस्थितियों के आगे असहाय हो कर व्यक्ति  किसी अज्ञात शक्ति के प्रति आस्थावान होने लगता है।उस अज्ञात शक्ति के अस्तित्व को लेकर विज्ञान और आस्था में हमेशा बहस चलती रही है और चलती रहेगी रहेगी।
                         ------ओंकार सिंह विवेक

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