September 15, 2025

हिंदी दिवस पर उत्तर प्रदेश साहित्य सभा रामपुर इकाई की काव्य गोष्ठी

हिंदी भाषा के सर्वत्र प्रभाव और इसके अधिकांश भारतीय प्रांतों में बोले जाने के कारण १४ सितंबर,१९४९ को स्वतंत्र भारत की संविधान सभा ने हिंदी को केंद्र सरकार की आधिकारिक भाषा अर्थात राजभाषा बनाने का निर्णय लिया था।तभी से प्रत्येक १४ सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।

इसी कड़ी में १४ सितंबर ,२०२५ को हिंदी दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश साहित्य सभा रामपुर इकाई की एक काव्य गोष्ठी सभा के सदस्य पतराम सिंह के गंगापुर आवास विकास रामपुर स्थित आवास पर आयोजित की गई।गोष्ठी की अध्यक्षता सभा की स्थानीय इकाई के अध्यक्ष ओंकार सिंह विवेक द्वारा की गई तथा मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में क्रमशः सभा के संयोजक सुरेन्द्र अश्क रामपुरी तथा सह सचिव सुमित सिंह मीत ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।

सरस्वती वंदना के  पश्चात मंच पर काव्य पाठ के लिए आए सुधाकर सिंह परिहार ने हिंदी की महत्ता बताए हुए कहा 


  अ अनपढ़ से शुरू होकर ख़त्म होती है ज्ञ से ज्ञान पर,

  हमें गर्व है अपनी मातृभाषा हिंदी महान पर।

आतिथेय पतराम सिंह ने मातृ भाषा हिंदी का वंदन कुछ इस प्रकार किया 


         मातृभाषा माँ भारती को कोटि कोटि प्रणाम करें,

          संस्कृति की धरोहर का आज नया निर्माण करें।

(गोष्ठी में उस समय भावुक दृश्य उत्पन्न हो गया जब मेज़बान पति-पत्नी ने पुष्पहार पहनाकर एक दूसरे के प्रति सम्मान प्रकट किया)        

सभा की स्थानीय इकाई के अध्यक्ष ओंकार सिंह विवेक ने राजभाषा हिन्दी के सम्मान में अपने गीत का मुखड़ा पढ़ा 


      दुनिया में भारत के गौरव मान और सम्मान की,

      आओ बात करें हम अपनी हिंदी के यशगान की।

           जय अपनी हिंदी ! जय प्यारी हिंदी !

संयोजक सुरेन्द्र अश्क रामपुरी ने अपना जदीद शेर पढ़ते हुए कहा 


कुल्हाड़ी में अगर लकड़ी का ये हत्था नहीं होता,

शजर की पीठ पर जो घाव है गहरा नहीं होता।

सचिव राजवीर सिंह राज़ ने भारत की बहुरंगी संस्कृति की प्रशंसा करते हुए कहा 

      है यह विविध रंग से रंगा हमारा देश,

      भिन्न भिन्न भाषाएँ भिन्न भिन्न परिवेश।

उपाध्यक्ष प्रदीप राजपूत माहिर ने  अपनी ग़ज़ल का मतला पढ़ते हुए कहा 

         फ़ैसले जब कभी कड़े होंगे,

         सब मुक़ाबिल मेरे खड़े होंगे।

गौरव नायक ने अपना शानदार शेर पढ़ा

          ख़ाक करके बदन उड़ाती है,

          मौत करतब अजब दिखाती है।

सह सचिव सुमित सिंह मीत ने पढ़ा 

  घर का आँगन है छोटा मगर रहने वालों के दिल हैं बड़े,

      खुशबुएं प्यार की हैं यहां नफ़रतों का बसेरा नहीं।

सोहन लाल भारती ने अपनी अभिव्यक्ति कुछ यों दी 

    फ़ुर्सत से तू आ जाना हम तेरी राह में खड़े,

    भटक न जाए मन मेरा नैना बिछाएं यहीं बैठे खड़े।

अशफ़ाक़ ज़ैदी ने तरन्नुम में ग़ज़ल पढ़ते हुए कहा 

        रास आता नहीं है ज़माना मुझे,

         क्यों तबीयत मिली बाग़ियाना मुझे। 

सभा के संरक्षक प्रसिद्ध शायर ताहिर फ़राज़ साहब ने हिंदी की विशाल हृदयता को प्रणाम करते हुए कहा 

      अपने अपने रंग हैं सबके अपनी अपनी बोली,

      हर बोली को अपने रंग में रँग ले एक अकेली,

       हिंदी सरल सरस अलबेली।

राजभाषा हिन्दी तथा समसामयिक विषयों पर कवियों ने अपनी प्रभावशाली प्रस्तुतियों से देर रात तक आमंत्रित अतिथियों को बांधे रखा।उपरोक्त के अतिरिक्त सरिता सिंह, प्रज्ञा सिंह तथा अभिनव सिंह आदि भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।


अंत में सभी का आभार व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश साहित्य सभा की रामपुर इकाई के अध्यक्ष ओंकार सिंह विवेक ने बताया कि अपने गठन के बाद से सभा द्वारा यह आठवीं सफल काव्य गोष्ठी आयोजित की गई।उन्होंने बताया कि भविष्य में स्थानीय इकाई द्वारा शीघ्र ही कोई बड़ा साहित्यिक आयोजन करने पर भी विचार किया जा रहा है।गोष्ठी का संचालन सभा के सचिव राजवीर सिंह राज़ ने किया।

द्वारा 
ओंकार सिंह विवेक 

प्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्रों अमृत विचार, हिंदुस्तान तथा अमर उजाला द्वारा कार्यक्रम की शानदार कवरेज करने के लिए हम उनका ह्रदय तल से आभार प्रकट करते हैं 🙏


         हिंदी दिवस काव्य गोष्ठी 🌹🌹👈👈






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