संस्कार भारती भारतीय कला और साहित्य को संवर्धित तथा पोषित करने वाली राष्ट्रीयस्वयं सेवक संघ की एक सहयोगी संस्था है ।भारत में कला और साहित्य के क्षेत्र में छिपी प्रतिभाओं को पहचानकर उनको प्रोत्साहित करने के लिए यह संस्था निरंतर प्रयत्नशील रहती है।
संस्कार भारती की रामपुर इकाई द्वारा
दिनांक 1 मई,2025 को मज़दूर दिवस के अवसर पर एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में स्थानीय साहित्यकारों ने अवसर के अनुकूल अपने मार्मिक काव्य सृजन द्वारा उपस्थित लोगों के दिलों को छू लिया।
मेरे द्वारा गोष्ठी में प्रस्तुत किए गए कुछ सामयिक दोहे
करना है दिन भर उसे, काम काम बस काम।
बेचारे मज़दूर को, क्या वर्षा क्या घाम।।
लिया गया सामर्थ्य से,बढ़कर दिन भर काम।
दिया न पर मज़दूर को, श्रम का पूरा दाम।।
©️ ओंकार सिंह विवेक
साहित्यकार शिवकुमार चन्दन ने मज़दूर दिवस पर अपनी प्रस्तुति देते हुए कहा :
ठेला खींचे जा रहा , है मज़दूर गरीब ।
जो जनपथ पर बढ़ रहा, मंज़िल बहुत करीब ।।
मंज़िल बहुत करीब ,मजूरी कर घर आया ।
मिली श्रमिक को जीत ,पेट तब ही भर पाया ।
सुखी हुआ परिवार , लगा गंगा का मेला ।
धन पाया भरपूर , खींच कर लाया ठेला ।।
साहित्यकार रविप्रकाश ने कहा :
वसुधा कुटुंब जो सिखलाता, वह हिंदू धर्म हमारा है।
रहती सब में आत्मा समान, जन-जन दुनिया का प्यारा है।।
मानव-मानव में भेद नहीं, गीता-रामायण गाते हैं।
सब आदर्शों का केंद्र बिंदु, हम हिंदुस्तान बताते हैं।
कवयित्री प्रीति अग्रवाल ने पहलगाम की घटना को लेकर अपना दोहा पढ़ा :
बैठ गए थे घात में,घाटी में कुछ लोग।
रक्त बहाने का उन्हें,लगा हुआ था रोग।।
निर्भय जैन ने अपनी काव्य प्रस्तुति देते हुए कहा :
श्रमिक कहते उसी को हैं जो श्रम का मान रखता है,
सुबह से सांझ तक बच्चों की ख़ातिर काम करता है।
ख़ुद से ज़्यादा वो बच्चों का सदा ही ध्यान रखता है,
धूल मिट्टी का ही दिन भर वो केवल पान करता है।
इनके अतिरिक्त अनमोल रागिनी चुनमुन, जसप्रीत जस्सी, रामकिशोर वर्मा, सचिन सार्थक, जितेंद्र नंदा, अशफ़ाक़ ज़ैदी, निर्भय जैन, अश्क रामपुरी तथा सुधाकर सिंह परिहार आदि ने भी समसामयिक विषयों पर भावपूर्ण काव्य पाठ किया।
संस्कार भारती के स्थानीय अध्यक्ष मुनीश चंद्र शर्मा द्वारा कार्यक्रम समापन पर सभी आमंत्रितों का आभार व्यक्त किया गया।
कार्यक्रम में सहभागिता का अवसर प्रदान करने के लिए मैं मुनीश चंद्र शर्मा जी का हृदय से आभार प्रकट करता हूँ।
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Sundar karykram,badhai
ReplyDeleteहार्दिक आभार 🙏
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