आदरणीय मित्रो सादर प्रणाम 🌹 🌹 🙏 🙏
आपको बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि मेरा नया ग़ज़ल-संग्रह 'कुछ मीठा कुछ खारा' प्रकाशित होकर आ चुका है।
इस ग़ज़ल संग्रह की विभिन्न ग़ज़लों के कुछ अशआर देखिए -----
डूबता है दिल घुटन से क्या करें,
अश्रु झरते हैं नयन से क्या करें।
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खेतों की जो हरियाली है,
रघु के चेहरे की लाली है।
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लुत्फ़ क्या आएगा शराफ़त में,
आप अब आ गए सियासत में।
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रौशनी का यही निशाना है,
तीरगी को मज़ा चखाना है।
©️ ओंकार सिंह विवेक
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Bahut sundar, badhai
ReplyDeleteआभार
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