November 10, 2024

शीघ्र आ रहा है

मित्रो प्रणाम 🙏🙏 

 आपको यह बताते हुए हर्ष की अनुभूति हो रही है कि अंजुमन प्रकाशन गृह प्रयागराज द्वारा प्रेषित सूचना के अनुसार मेरा नया ग़ज़ल-संग्रह 'कुछ मीठा कुछ खारा' शीघ्र ही प्रकाशित होकर आ रहा है।
उचित समय पर इसके लोकार्पण आदि की प्रक्रिया पूर्ण करके विस्तृत ख़बर आप सभी शुभचिंतकों के साथ साझा करूंगा।

आज अपनी अलग-अलग ग़ज़लों के कुछ शेर आपकी अदालत में पेश कर रहा हूं :

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जब से मुजरिम पकड़के लाए हैं,
फ़ोन   थाने    के   घनघनाए  हैं।
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शिकायत  कुछ नहीं  है  ज़िंदगी से,
मिला जितना मुझे हूं ख़ुश उसी से।
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हौसले  जिनके  जगमगाते हैं,
ग़म कहाँ उनको तोड़ पाते हैं।

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हो अगर साहस तो संकट हार जाते हैं सभी,
रुक नहीं  पाते हैं  कंकर तेज़ बहती धार में।
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---- ©️ ग़ज़लकार ओंकार सिंह विवेक 

November 4, 2024

नई ग़ज़ल

पटना के मशहूर शायर जनाब रमेश कँवल साहब के स्नेह हेतु हार्दिक आभार कि उनके सहयोग के चलते 
जहानाबाद,बिहार के "अरवल टाइम्स" अख़बार में वरिष्ठ साहित्यकारों के साथ मेरी ग़ज़ल भी प्रकाशित हुई।मैं ग़ज़ल प्रकाशित करने के लिए श्री संतोष श्रीवास्तव,संपादक महोदय का हृदय आभार व्यक्त करता हूं 🌹🌹🙏🙏



November 2, 2024

रौशनी के नाम

नमस्कार मित्रो 🌷🌷🙏🙏


सम्मानित अख़बार "सदीनामा" में छपी मेरी नई ग़ज़ल का आनंद लीजिए। मैं धन्य समझता हूं स्वयं को कि मेरी ग़ज़ल मशहूर ग़ज़लकार श्री हरीश दरवेश साहब के साथ छपी है। श्री दरवेश साहब को भी उनकी ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद 🌷🌷
मैं एक बार फिर शुक्रगुज़ार हूं टीम "सदीनामा" का 🙏🙏

-----  ओंकार सिंह विवेक 


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