आपको यह बताते हुए हर्ष की अनुभूति हो रही है कि अंजुमन प्रकाशन गृह प्रयागराज द्वारा प्रेषित सूचना के अनुसार मेरा नया ग़ज़ल-संग्रह 'कुछ मीठा कुछ खारा' शीघ्र ही प्रकाशित होकर आ रहा है।
उचित समय पर इसके लोकार्पण आदि की प्रक्रिया पूर्ण करके विस्तृत ख़बर आप सभी शुभचिंतकों के साथ साझा करूंगा।
आज अपनी अलग-अलग ग़ज़लों के कुछ शेर आपकी अदालत में पेश कर रहा हूं :
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जब से मुजरिम पकड़के लाए हैं,
फ़ोन थाने के घनघनाए हैं।
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शिकायत कुछ नहीं है ज़िंदगी से,
मिला जितना मुझे हूं ख़ुश उसी से।
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हौसले जिनके जगमगाते हैं,
ग़म कहाँ उनको तोड़ पाते हैं।
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हो अगर साहस तो संकट हार जाते हैं सभी,
रुक नहीं पाते हैं कंकर तेज़ बहती धार में।
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---- ©️ ग़ज़लकार ओंकार सिंह विवेक