September 17, 2024

वृक्षों के संरक्षण और संवर्धन हेतु मार्मिक अपील





नमस्कार मित्रो 🌷🌷🙏🙏
हमें अपने अस्तित्व को बचाने के लिए वृक्षों और वनों का संरक्षण तथा संवर्धन करने की महती आवश्यकता है। इसी को लेकर कुछ दिन पूर्व एक कुंडलिया छंद का सृजन हुआ था जो आज आपकी प्रतिक्रिया प्राप्त करने हेतु प्रस्तुत है :

आज एक कुंडलिया छंद 

********************


©️     (चित्र:गूगल से साभार)

देते   हैं   सबको  यहाँ,प्राणवायु   का   दान,

फिर भी वृक्षों  की मनुज,लेता है नित  जान।

लेता  है नित जान, गई  मति  उसकी   मारी,

जो  वृक्षों  पर  आज,चलाता पल-पल आरी।

कहते सत्य 'विवेक', वृक्ष हैं  कब कुछ  लेते,

वे  तो  छाया-वायु,,फूल-फल  सबको   देते।    

                   ©️ ओंकार सिंह विवेक 



जिस्म भी कितना साथ दे आख़िर 👈👈

2 comments:

Featured Post

सूरज को भी तेज गँवाना पड़ता है

मित्रो असीम सुप्रभात 🌹🍀🙏🙏 लीजिए पेश है मेरी एक और ग़ज़ल जो प्रकाशन की प्रक्रिया में चल रहे मेरे दूसरे ग़ज़ल संग्रह "कुछ...